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  • अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 6/ मन्त्र 14
    सूक्त - शन्तातिः देवता - चन्द्रमा अथवा मन्त्रोक्ताः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - पापमोचन सूक्त

    य॒ज्ञं ब्रू॑मो॒ यज॑मान॒मृचः॒ सामा॑नि भेष॒जा। यजूं॑षि॒ होत्रा॑ ब्रूम॒स्ते नो॑ मुञ्च॒न्त्वंह॑सः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    य॒ज्ञम् । ब्रू॒म॒:। यज॑मानम् । ऋच॑: । सामा॑नि । भे॒ष॒जा । यजूं॑षि । होत्रा॑: । ब्रू॒म॒: । ते । न॒: । मु॒ञ्च॒न्तु॒ । अंह॑स: ॥८.१४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यज्ञं ब्रूमो यजमानमृचः सामानि भेषजा। यजूंषि होत्रा ब्रूमस्ते नो मुञ्चन्त्वंहसः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यज्ञम् । ब्रूम:। यजमानम् । ऋच: । सामानि । भेषजा । यजूंषि । होत्रा: । ब्रूम: । ते । न: । मुञ्चन्तु । अंहस: ॥८.१४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 6; मन्त्र » 14

    भाषार्थ -
    (यज्ञम्) यज्ञ, (यजमानम्) यजमान (ऋषः) ऋचाओं (सामानि) सामवेद के गानों, (भेषजा) विविध ओषधियों का वर्णन करने वाले अथर्ववेद का (ब्रूमः) हम कथन करते रहते हैं। (यजूंषि) यजुर्वेद के मन्त्रों तथा (होत्राः) ऋत्विजों की क्रियाओं का (ब्रूमः) हम कथन करते हैं— (ते) वे सब [हे परमेश्वर!] (नः) हमें (अंहसः) मरण से (मुञ्चन्तु) मुक्त करें। भेषजा= अथवा "भेषज" रूपी सामग्री की ओषधियां।

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