Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 7/ मन्त्र 24
    सूक्त - अथर्वा देवता - उच्छिष्टः, अध्यात्मम् छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - उच्छिष्ट ब्रह्म सूक्त

    ऋचः॒ सामा॑नि॒ च्छन्दां॑सि पुरा॒णं यजु॑षा स॒ह। उच्छि॑ष्टाज्जज्ञिरे॒ सर्वे॑ दि॒वि दे॒वा दि॑वि॒श्रितः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ऋच॑: । सामा॑नि । छन्दां॑सि । पु॒रा॒णम् । यजु॑षा । स॒ह । उत्ऽशि॑ष्टात् । ज॒ज्ञि॒रे॒ । सर्वे॑ । दि॒वि । दे॒वा: । दि॒वि॒ऽश्रित॑: ॥९.२४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ऋचः सामानि च्छन्दांसि पुराणं यजुषा सह। उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ऋच: । सामानि । छन्दांसि । पुराणम् । यजुषा । सह । उत्ऽशिष्टात् । जज्ञिरे । सर्वे । दिवि । देवा: । दिविऽश्रित: ॥९.२४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 7; मन्त्र » 24

    भाषार्थ -
    (ऋचः) ऋचाएं अर्थात् ऋग्वेद, (सामानि) साममन्त्र अर्थात् सामवेद, (छन्दांसि) आह्लादप्रद अथर्वमन्त्र अथर्ववेद, (यजुषा सह) यजुर्वेद के साथ (पुराणम्) पुराण अर्थात् भूमि की प्रागवस्था की विद्या या प्रकृति, तथा (सर्वे देवाः) सब देव (दिवि) जोकि द्युलोक में हैं (दिविश्रितः) और द्युलोक में जिन का आश्रय है- (उच्छिष्टात्) वे प्रलय में भी अवशिष्ट परमेश्वर से (जज्ञिरे) पैदा हुए हैं।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top