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  • अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 9/ मन्त्र 16
    सूक्त - काङ्कायनः देवता - अर्बुदिः छन्दः - त्र्यवसाना पञ्चपदा विराडुपरिष्टाज्ज्योतिस्त्रिष्टुप् सूक्तम् - शत्रुनिवारण सूक्त

    ख॒डूरे॑ऽधिचङ्क्र॒मां खर्वि॑कां खर्ववा॒सिनी॑म्। य उ॑दा॒रा अ॒न्तर्हि॑ता गन्धर्वाप्स॒रस॑श्च॒ ये स॒र्पा इ॑तरज॒ना रक्षां॑सि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ख॒डूरे॑ । अ॒धि॒ऽच॒ङ्क॒माम् । खर्वि॑काम् । ख॒र्व॒ऽवा॒सिनी॑म् । ये । उ॒त्ऽआ॒रा: । अ॒न्त:ऽहि॑ता: । ग॒न्ध॒र्व॒ऽअ॒प्स॒रस॑: । च॒ । ये । स॒र्पा: । इ॒त॒र॒ऽज॒ना: । रक्षां॑सि ॥११.१६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    खडूरेऽधिचङ्क्रमां खर्विकां खर्ववासिनीम्। य उदारा अन्तर्हिता गन्धर्वाप्सरसश्च ये सर्पा इतरजना रक्षांसि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    खडूरे । अधिऽचङ्कमाम् । खर्विकाम् । खर्वऽवासिनीम् । ये । उत्ऽआरा: । अन्त:ऽहिता: । गन्धर्वऽअप्सरस: । च । ये । सर्पा: । इतरऽजना: । रक्षांसि ॥११.१६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 9; मन्त्र » 16

    मन्त्रार्थ -
    (खडू रे) भेदनीय ! शत्रु संघ में "खड भेदने" (चुरादि०) ततः-ऊरक् प्रत्ययः-औणादिको बाहुलकात् (उणादि. १।६७) (अधि चङक्रमाम्) अत्यन्त अधिक्रमण-आक्रमण करती हुई (खर्विकाम्) गर्व करने वाली- स्वबलाभिमानी (खर्ववासिनीम्) गर्व पूर्ण जनों में वसी हुई सेना को प्रदर्शित कर (ये अन्तर्हिता: उदाराः) जो छिपे हुए उभरने वाले स्फोटक पदार्थ (च) और (ये गन्धर्वाप्सरसः) गन्ध वाले गन्धक आदि और फैलने वाले वायु रूप- गैस के रूप में उड़ने वाले द्रव पदार्थ हैं (सर्पाः) सर्पण शील पंक्ति रूप धारा वाले हैं (इतरजनाः) इतरजन्यमान पदार्थ मिश्रण से उत्पन्न जो "चित्तभेक चूर्ण- भल्लातक सद्यः प्राणहर एतेषां वा धूमः” ( कौटिल्यार्थ औपनि० १४।१।५) (रक्षांसि ) रक्षा जिनसे करते हैं। ऐसे षियुक्त पदार्थों को दिखला ॥१६॥

    विशेष - ऋषिः - काङ्कायनः (अधिक प्रगतिशील वैज्ञानिक) "ककि गत्यर्थ" [स्वादि०] कङ्क-ज्ञान में प्रगतिशील उससे भी अधिक आगे बढा हुआ काङ्कायनः। देवता-अबुदि: "अबु दो मेघ:" [निरु० ३|१०] मेघों में होने वाला अर्बुदि-विद्युत् विद्युत का प्रहारक बल तथा उसका प्रयोक्ता वैद्युतास्त्रप्रयोक्ता सेनाध्यक्ष “तदधीते तद्वेद” छान्दस इञ् प्रत्यय, आदिवृद्धि का अभाव भी छान्दस । तथा 'न्यर्बु''दि' भी आगे मन्त्रों में आता है वह भी मेघों में होने वाला स्तनयित्नु-गर्जन: शब्द-कडक तथा उसका प्रयोक्ता स्फोटकास्त्रप्रयोक्ता अर्बुदि के नीचे सेनानायक न्यर्बुदि है

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