Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 39
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अध्यापको देवता छन्दः - भुरिग्गायत्री स्वरः - षड्जः
    5

    कस्त्वाछ्य॑ति॒ कस्त्वा॒ विशा॑स्ति॒ कस्ते॒ गात्रा॑णि शम्यति।कऽउ॑ ते शमि॒ता क॒विः॥३९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः। त्वा॒। आछ्य॑ति। कः। त्वा॒। वि। शा॒स्ति॒। कः। ते॒। गात्रा॑णि। श॒म्य॒ति॒। कः। उँ॒ऽइत्यूँ॑। ते॒। श॒मि॒ता। क॒विः ॥३९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कस्त्वाच्छ्यति कस्त्वा विशास्ति कस्ते गात्राणि शम्यति । कऽउ ते शमिता कविः॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कः। त्वा। आछ्यति। कः। त्वा। वि। शास्ति। कः। ते। गात्राणि। शम्यति। कः। उँऽइत्यूँ। ते। शमिता। कविः॥३९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 39
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    हे पढ़ने वाले विद्यार्थिजन! (त्वा) तुझे (कः) कौन (आछ्यति) छेदन करता (कः) कौन (त्वा) तुझे (विशास्ति) अच्छा सिखाता (कः) कौन (ते) तेरे (गात्राणि) अङ्गों को (शम्यति) शान्ति पहुंचाता और (कः) कौन (उ) तो (ते) तेरा (शमिता) यज्ञ करने वाला (कविः) समस्त शास्त्र को जानता हुआ पढ़ाने हारा है॥३९॥

    भावार्थ - अध्यापक लोग पढ़ने वालों के प्रति ऐसे परीक्षा में पूछें कि कौन तुम्हारे पढ़ने को काटते अर्थात् पढ़ने में विघ्न करते? कौन तुम को पढ़ने के लिए उपदेश देते हैं? कौन अङ्गों की शुद्धि और योग्य चेष्टा को जनाते हैं? कौन पढ़ाने वाला है? क्या पढ़ा? क्या पढ़ने योग्य है? ऐसे-ऐसे पूछ उत्तम परीक्षा कर उत्तम विद्यार्थियों को उत्साह देकर दुष्ट स्वभाव वालों को धिक्कार दे के विद्या की उन्नति करावें॥३९॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top