Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 9
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - जिज्ञासुर्देवता छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    5

    कः स्वि॑देका॒की चर॑ति॒ कऽउ॑ स्विज्जायते॒ पुनः॑। किस्वि॑द्धि॒मस्य॑ भेष॒जं किम्वा॒वप॑नं म॒हत्॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः। स्वि॒त्। ए॒का॒की। च॒र॒ति॒। कः। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। स्वि॒त्। जा॒य॒ते॒। पुन॒रिति॒ पुनः॑। किम्। स्वित्। हि॒मस्य॑। भे॒ष॒जम्। किम्। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। आ॒वप॑न॒मित्या॒ऽवप॑नम्। म॒हत्॥९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कः स्विदेकाकी चरति कऽउ स्विज्जायते पुनः । किँ स्विद्धिमस्य भेषजङ्किम्वावपनम्महत् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कः। स्वित्। एकाकी। चरति। कः। ऊँऽइत्यूँ। स्वित्। जायते। पुनरिति पुनः। किम्। स्वित्। हिमस्य। भेषजम्। किम्। ऊँऽइत्यूँ। आवपनमित्याऽवपनम्। महत्॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    हे विद्वानो! हम लोग तुम को पूछते हैं कि (कः स्वित्) कौन (एकाकी) एकाएकी अकेला (चरति) विचरता है? (उ) और (कः, स्वित्) कौन (पुनः) बार-बार (जायते) प्रगट होता है? (किम्, स्वित्) क्या (हिमस्य) शीत का (भेषजम्) औषध और (किम्) क्या (उ) तो (महत्) बड़ा (आवपनम्) बीज बोने का स्थान है?॥९॥

    भावार्थ - इन उक्त प्रश्नों के उत्तर अगले मन्त्र में कहे हुए हैं, यह जानना चाहिये। मनुष्यों को योग्य है कि सदा इसी प्रकार के प्रश्न किया करें॥९॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top