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  • यजुर्वेद - अध्याय 25/ मन्त्र 4
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्न्यादयो देवताः छन्दः - स्वराड् धृतिः स्वरः - ऋषभः
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    अ॒ग्नेः प॑क्ष॒तिर्वा॒योर्निप॑क्षति॒रिन्द्र॑स्य तृ॒तीया॒ सोम॑स्य चतु॒र्थ्यदि॑त्यै पञ्च॒मीन्द्रा॒ण्यै ष॒ष्ठी म॒रुता॑ सप्त॒मी बृह॒स्पते॑रष्ट॒म्यर्य॒म्णो न॑व॒मी धा॒तुर्द॑श॒मीन्द्र॑स्यैकाद॒शी वरु॑णस्य द्वाद॒शी य॒मस्य॑ त्रयोद॒शी॥४॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒ग्नेः। प॒क्ष॒तिः। वा॒योः। निप॑क्षति॒रिति॒ निऽप॑क्षतिः। इन्द्र॑स्य। तृ॒तीया॑। सोम॑स्य। च॒तु॒र्थी। अदि॑त्यै। प॒ञ्च॒मी। इ॒न्द्रा॒ण्यै। ष॒ष्ठी। म॒रुता॑म्। स॒प्त॒मी। बृह॒स्पतेः॑। अ॒ष्ट॒मी। अ॒र्य॒म्णः। न॒व॒मी। धा॒तुः। द॒श॒मी। इन्द्र॑स्य। ए॒का॒द॒शी। वरु॑णस्य। द्वा॒द॒शी। य॒मस्य॑। त्र॒यो॒द॒शीति॑ त्रयःद॒शी ॥४ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अग्नेः पक्षतिर्वायोर्निपक्षतिरिन्द्रस्य तृतीया सोमस्य चतुर्थ्यदित्यै पञ्चमीन्द्राण्यै षष्ठी मरुताँ सप्तमी बृहस्पतेरष्टम्यर्यम्णो नवमी धातुर्दशमीन्द्रस्यैकशी वरुणस्य द्वादशी यमस्य त्रयोदशी ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अग्नेः। पक्षतिः। वायोः। निपक्षतिरिति निऽपक्षतिः। इन्द्रस्य। तृतीया। सोमस्य। चतुर्थी। अदित्यै। पञ्चमी। इन्द्राण्यै। षष्ठी। मरुताम्। सप्तमी। बृहस्पतेः। अष्टमी। अर्यम्णः। नवमी। धातुः। दशमी। इन्द्रस्य। एकादशी। वरुणस्य। द्वादशी। यमस्य। त्रयोदशीति त्रयःदशी॥४॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 25; मन्त्र » 4
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! (অগ্নেঃ) অগ্নির (পক্ষতিঃ) সব দিক দিয়া গ্রহণীয় ব্যবহারের মূল (বায়োঃ) পবনের (নিপক্ষতিঃ) নিশ্চিত বিষয়ের মূল (ইন্দ্রস্য) সূর্য্যের (তৃতীয়া) তিনকে পূরণ করিবার ক্রিয়া (সোমস্য) চন্দ্রমার (চতুর্থী) চারিকে পূরণকারিণী (অদিত্যৈ) অন্তরিক্ষের (পঞ্চমী) পঞ্চমী (ইন্দ্রানৈ) স্ত্রীর সমান বর্ত্তমান যাহা বিদ্যুৎরূপ অগ্নিশিখা তাহাকে (ষষ্ঠী) ষষ্ঠী (মরুতাম্) পবনদেরকে (সপ্তমী) সপ্তমী (বৃহস্পতেঃ) বৃহতের পালক মহত্তত্ত্বের (অষ্টমী) অষ্টমী (অর্য়ম্ণঃ) স্বামীদের সৎকারকারীদের (নবমী) নবমী (ধাতুঃ) ধারণকারীর (দশমী) দশমী (ইন্দ্রস্য) ঐশ্বর্য্যবানের (একাদশী) একাদশী (বরুণস্য) শ্রেষ্ঠ পুরুষের (দ্বাদশী) দ্বাদশী এবং (য়মস্য) ন্যায়াধীশ রাজার (ত্রয়োদশী) ত্রয়োদশী ক্রিয়া তোমাকে করা উচিত ॥ ৪ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! তোমাকে ক্রিয়ার বিশেষ জ্ঞান ও সাধন দ্বারা অগ্নি আদি পদার্থগুলির গুণকে জানিয়া সর্ব কার্য্য সাধন করা উচিত ॥ ৪ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - অ॒গ্নেঃ প॑ক্ষ॒তির্বা॒য়োর্নিপ॑ক্ষতি॒রিন্দ্র॑স্য তৃ॒তীয়া॒ সোম॑স্য চতু॒র্থ্যদি॑ত্যৈ পঞ্চ॒মীন্দ্রা॒ণ্যৈ ষ॒ষ্ঠী ম॒রুতা॑ᳬं সপ্ত॒মী বৃহ॒স্পতে॑রষ্ট॒ম্য᳖র্য়॒ম্ণো ন॑ব॒মী ধা॒তুর্দ॑শ॒মীন্দ্র॑স্যৈকাদ॒শী বর॑ুণস্য দ্বাদ॒শী য়॒মস্য॑ ত্রয়োদ॒শী ॥ ৪ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - অগ্নেরিত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অগ্ন্যাদয়ো দেবতাঃ । স্বরাড্ধৃতিশ্ছন্দঃ ।
    ঋষভঃ স্বরঃ ॥

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