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  • यजुर्वेद - अध्याय 25/ मन्त्र 7
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - पूषादयो देवताः छन्दः - निचृदष्टिः स्वरः - मध्यमः
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    पू॒षणं॑ वनि॒ष्ठुना॑न्धा॒हीन्त्स्स्थू॑लगु॒दया॑ स॒र्पान् गुदा॑भिर्वि॒ह्रुत॑ऽआ॒न्त्रैर॒पो व॒स्तिना॒ वृष॑णमा॒ण्डाभ्यां॒ वाजि॑न॒ꣳ शेपे॑न प्र॒जा रेत॑सा॒ चाषा॑न् पि॒त्तेन॑ प्रद॒रान् पा॒युना॑ कू॒श्माञ्छ॑कपि॒ण्डैः॥७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पू॒षण॑म्। व॒नि॒ष्ठुना॑। अ॒न्धा॒हीनित्य॑न्धऽअ॒हीन्। स्थू॒ल॒गु॒दयेति॑ स्थूलऽगु॒दया॑। स॒र्पान्। गुदा॑भिः। वि॒ह्रुत॒ इति॑ वि॒ऽह्नुतः॑। आ॒न्त्रैः। अ॒पः। व॒स्तिना॑। वृष॑णम्। आ॒ण्डाभ्या॑म्। वाजि॑नम्। शेपे॑न। प्र॒जामिति॑ प्र॒ऽजाम्। रेत॑सा। चाषा॑न्। पि॒त्तेन॑। प्र॒द॒रानिति॑ प्रऽद॒रान्। पा॒युना॑। कू॒श्मान्। श॒क॒पि॒ण्डैरिति॑ शकऽपि॒ण्डैः ॥७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पूषणँवनिष्ठुनान्धाहीन्त्स्थूलगुदया सर्पान्गुदाभिर्विह््रुतऽआन्त्रैरपो वस्तिना वृषणमाण्डाभ्याँवाजिनँ शेपेन प्रजाँ रेतसा चाषान्पित्तेन प्रदरान्पायुना कूश्माञ्छकपिण्डैः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    पूषणम्। वनिष्ठुना। अन्धाहीनित्यन्धऽअहीन्। स्थूलगुदयेति स्थूलऽगुदया। सर्पान्। गुदाभिः। विह्रुत इति विऽह्नुतः। आन्त्रैः। अपः। वस्तिना। वृषणम्। आण्डाभ्याम्। वाजिनम्। शेपेन। प्रजामिति प्रऽजाम्। रेतसा। चाषान्। पित्तेन। प्रदरानिति प्रऽदरान्। पायुना। कूश्मान्। शकपिण्डैरिति शकऽपिण्डैः॥७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 25; मन्त्र » 7
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! তোমরা (বনিষ্ঠুনা) যাঞ্চা করিয়া (পূষণম্) পুষ্টিকারীকে (স্থূলগুদয়া) স্থূল গুদেন্দ্রিয়ের সঙ্গে বর্ত্তমান (অন্ধাহীন) অন্ধ সর্পগুলিকে (গুদাভিঃ) গুদেন্দ্রিয় সহ বর্ত্তমান (বিহ্রুতঃ) বিশেষ কুটিল (সর্পান্) সর্পগুলিকে (আন্ত্রৈঃ) অন্ত্র দ্বারা (অপঃ) জলকে (বস্তিনা) নাভির নিম্নভাগ দ্বারা (বৃষণম্) অণ্ডকোষকে (আণ্ডাভ্যাম্) অণ্ডাকার বৃষণ অবয়ব দ্বারা (বাজিনম্) অশ্বকে (শেপেন) লিঙ্গ ও (রেতস্য) বীর্য্য দ্বারা (প্রজাম্) সন্তানকে (পিত্তেন) পিত্ত দ্বারা (চাষান্) ভোজনকে (প্রদরান্) পেটের অঙ্গ সকলকে (পায়ুনা) গুদেন্দ্রিয় দ্বারা এবং (শকপিন্ডৈঃ) শক্তিগুলির দ্বারা (কূশ্মান্) তোমরা শাসনকে নিরন্তর গ্রহণ কর ॥ ৭ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–যাহার দ্বারা যে কর্ম্ম সিদ্ধ হয় সেই অঙ্গ বা পদার্থ দ্বারা সেই কর্ম্ম সিদ্ধ করা উচিত ॥ ৭ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - পূ॒ষণং॑ বনি॒ষ্ঠুনা॑ন্ধা॒হীন্ৎস্থূ॑লগু॒দয়া॑ স॒র্পান্ গুদা॑ভির্বি॒হ্রুত॑ऽআ॒ন্ত্রৈর॒পো ব॒স্তিনা॒ বৃষ॑ণমা॒ণ্ডাভ্যাং॒ বাজি॑ন॒ꣳ শেপে॑ন প্র॒জাᳬं রেত॑সা॒ চাষা॑ন্ পি॒ত্তেন॑ প্রদ॒রান্ পা॒য়ুনা॑ কূ॒শ্মাঞ্ছ॑কপি॒ণ্ডৈঃ ॥ ৭ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - পূষণমিত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । পূষাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃদষ্টিশ্ছন্দঃ ।
    মধ্যমঃ স্বরঃ ॥

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