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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 2
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - सोमादयो देवताः छन्दः - निचृत् संकृतिः स्वरः - गान्धारः
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    रोहि॑तो धू॒म्ररो॑हितः क॒र्कन्धु॑रोहित॒स्ते सौ॒म्या ब॒भ्रुर॑रु॒णब॑भ्रुः॒ शुक॑बभ्रु॒स्ते वा॑रु॒णाः शि॑ति॒रन्ध्रो॒ऽन्यतः॑शितिरन्ध्रः सम॒न्तशि॑तिरन्ध्र॒स्ते सा॑वि॒त्राः शि॑तिबा॒हुर॒न्यतः॑शितिबाहुः सम॒न्तशि॑तिबाहु॒स्ते बा॑र्हस्प॒त्याः पृष॑ती क्षु॒द्रपृ॑षती स्थू॒लपृ॑षती॒ ता मै॑त्राव॒रुण्यः॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    रोहि॑तः। धू॒म्ररो॑हित॒ इति॑ धू॒म्ररो॑हितः। क॒र्कन्धु॑रोहित॒ऽइति॑ क॒र्कन्धु॑ऽरोहितः। ते। सौ॒म्याः। ब॒भ्रुः। अ॒रुणब॑भ्रु॒रिति॑ अरु॒णऽब॑भ्रुः॒। शुक॑बभ्रु॒रिति॒ शुक॑ऽबभ्रुः। ते। वा॒रु॒णाः। शि॒ति॒रन्ध्र॒ऽइति॑ शि॒ति॒ऽरन्ध्रः। अ॒न्यतः॑शितिरन्ध्र॒ऽइत्य॒न्यतः॑ऽशितिरन्ध्रः। स॒म॒न्तशि॑तिरन्ध्र॒ऽइति॑ सम॒न्तऽशि॑तिरन्ध्रः। ते। सा॒वि॒त्राः। शि॒ति॒बा॒हुरिति॑ शितिऽबा॒हुः। अ॒न्यतः॑शि॑तिबाहु॒रित्य॒न्यतः॑ऽशितिबाहुः। स॒म॒न्तशि॑तिबाहु॒रिति॑ सम॒न्तऽशि॑तिबाहुः। ते। बा॒र्ह॒स्प॒त्याः। पृष॑ती। क्षु॒द्रपृ॑ष॒तीति॑ क्षु॒द्रऽषृ॑पती। स्थू॒लपृ॑ष॒तीति॑ स्थू॒लऽपृ॑षती। ताः। मैत्रा॒व॒रु॒ण्यः᳖ ॥२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रोहितो धूम्ररोहितः कर्कन्धुरोहितस्ते सौम्या बभ्रुररुणबभ्रुः शुकबभ्रुस्ते वारुणाः शितिरन्ध्रो न्यतःशितिरन्ध्रः समन्तशितिरन्ध्रस्ते सावित्राः शितिहुः समन्तशितिबाहुस्ते बार्हस्पत्याः पृषती क्षुद्रपृषती स्थूलपृषती ता मैत्रावरुण्यः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    रोहितः। धूम्ररोहित इति धूम्ररोहितः। कर्कन्धुरोहितऽइति कर्कन्धुऽरोहितः। ते। सौम्याः। बभ्रुः। अरुणबभ्रुरिति अरुणऽबभ्रुः। शुकबभ्रुरिति शुकऽबभ्रुः। ते। वारुणाः। शितिरन्ध्रऽइति शितिऽरन्ध्रः। अन्यतःशितिरन्ध्रऽइत्यन्यतःऽशितिरन्ध्रः। समन्तशितिरन्ध्रऽइति समन्तऽशितिरन्ध्रः। ते। सावित्राः। शितिबाहुरिति शितिऽबाहुः। अन्यतःशितिबाहुरित्यन्यतःऽशितिबाहुः। समन्तशितिबाहुरिति समन्तऽशितिबाहुः। ते। बार्हस्पत्याः। पृषती। क्षुद्रपृषतीति क्षुद्रऽषृपती। स्थूलपृषतीति स्थूलऽपृषती। ताः। मैत्रावरुण्यः॥२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 2
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ– হে মনুষ্যগণ! যে (রোহিতঃ) সামান্য লাল (ধূম্ররোহিতঃ) ধূম্র লাল এবং (কর্কন্ধুরোহিতঃ) পক্ব বদরী ফলের সমান লাল পশু আছে, (তে) তাহারা (সৌম্যাঃ) সোমদেবতা অর্থাৎ সোমগুণসম্পন্ন, যে (বভ্রুঃ) নকুল সমান ধূম্র (অরুণবভ্রুঃ) লালিমা যুক্ত নকুল সমান রঙযুক্ত (শুকবভ্রুঃ) শুকের সমান বভ্রু বর্ণযুক্ত পশু আছে (তে) তাহারা সব (বারুণাঃ) বরুণ দেবতাযুক্ত অর্থাৎ শ্রেষ্ঠ, যে (শিতিরন্ধ্রঃ) শিতিরন্ধ্র অর্থাৎ যাহার মর্মস্থানাদিতে শ্বেত, (অন্যতঃশিতিরন্ধ্রঃ) যে অন্য অঙ্গ হইতে অন্য অঙ্গে ছিদ্রের মত সেইরূপ যাহার এখানে সেখানে শ্বেত (সমন্তশিতিরন্ধ্রঃ) এবং যাহার সব দিক দিয়া ছিদ্রের সমান শ্বেতচিহ্ন আছে (তে) তাহারা সব (সাবিত্রাঃ) সবিতা দেবতাযুক্ত (শিতিবাহুঃ) যাহার সম্মুখ ভুজায় শ্বেতচিহ্ন (অন্যতঃ শিতিবাহুঃ) যাহার অন্যান্য অঙ্গ দ্বারা অন্যান্য অঙ্গে শ্বেতচিহ্ন এবং (সমন্তশিতিবাহুঃ) যাহার সব দিক দিয়া আগের পাংশুলিতে শ্বেতচিহ্ন আছে এমন যে পশু আছে (তে) তাহারা (বার্হস্পত্যাঃ) বৃহস্পতি দেবতা যুক্ত তথা যে (পৃষতী) সকল অঙ্গ দ্বারা সুসিক্ত (ক্ষুদ্রপৃষতী) যাহার ক্ষুদ্র ক্ষুদ্র রং বেরং ছিটা এবং (স্থূলপৃষতী) যাহার মোটা মোটা ছিটা (তাঃ) সে সমস্ত (মৈত্রাবরুণঃ) প্রাণ ও উদান দেবতা যুক্ত হইয়া থাকে, তোমাদিগকে ইহা জানা উচিত ॥ ২ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–যাহারা চন্দ্রাদির উত্তম গুণযুক্ত পশু তাহাদের হইতে সেই সেই গুণের অনুকূল কর্ম্ম মনুষ্যদিগকে সিদ্ধ করা উচিত ॥ ২ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - রোহি॑তো ধূ॒ম্ররো॑হিতঃ ক॒র্কন্ধু॑রোহিত॒স্তে সৌ॒ম্যা ব॒ভ্রুর॑রু॒ণব॑ভ্রুঃ॒ শুক॑বভ্রু॒স্তে বা॑রু॒ণাঃ শি॑তি॒রন্ধ্রো॒ऽন্যতঃ॑শিতিরন্ধ্রঃ সম॒ন্তশি॑তিরন্ধ্র॒স্তে সা॑বি॒ত্রাঃ শি॑তিবা॒হুর॒ন্যতঃ॑শিতিবাহুঃ সম॒ন্তশি॑তিবাহু॒স্তে বা॑র্হস্প॒ত্যাঃ পৃষ॑তী ক্ষু॒দ্রপৃ॑ষতী স্থূ॒লপৃ॑ষতী॒ তা মৈ॑ত্রাব॒রুণ্যঃ᳖ ॥ ২ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - রোহিত ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । সোমাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃৎসংকৃতিশ্ছন্দঃ ।
    গান্ধারঃ স্বরঃ ॥

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