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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 3
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अश्व्यादयो देवताः छन्दः - निचृदतिजगती स्वरः - निषादः
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    शु॒द्धवा॑लः स॒र्वशु॑द्धवालो मणि॒वाल॒स्तऽआ॑श्वि॒नाः श्येतः॑ श्येता॒क्षोऽरु॒णस्ते रु॒द्राय॑ पशु॒पत॑ये क॒र्णा या॒माऽअ॑वलि॒प्ता रौ॒द्रा नभो॑रूपाः पार्ज॒न्याः॥३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शु॒द्धवा॑ल॒ इति॑ शु॒द्धऽवा॑लः। स॒र्वशु॑द्धवाल॒ऽइति॑ स॒र्वऽशु॑द्धवालः। म॒णि॒वाल॒ इति॑ मणि॒ऽवालः॑। ते। आ॒श्वि॒नाः। श्येतः॑। श्ये॒ता॒क्ष इति॑ श्येतऽअ॒क्षः। अ॒रु॒णः। ते। रु॒द्राय॑। प॒शु॒पत॑य॒ इति॑ पशु॒ऽपत॑ये। क॒र्णाः। या॒माः। अ॒व॒लि॒प्ता इत्य॑वऽलि॒प्ताः। रौ॒द्राः। नभो॑रूपा॒ इति॒ नभः॑ऽरूपाः। पा॒र्ज॒न्याः ॥३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्त आश्विनाः श्येतः श्येताक्षो रुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णा यामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपाः पार्जन्याः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    शुद्धवाल इति शुद्धऽवालः। सर्वशुद्धवालऽइति सर्वऽशुद्धवालः। मणिवाल इति मणिऽवालः। ते। आश्विनाः। श्येतः। श्येताक्ष इति श्येतऽअक्षः। अरुणः। ते। रुद्राय। पशुपतय इति पशुऽपतये। कर्णाः। यामाः। अवलिप्ता इत्यवऽलिप्ताः। रौद्राः। नभोरूपा इति नभःऽरूपाः। पार्जन्याः॥३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 3
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! (শুদ্ধবালঃ) যাহার শুদ্ধবাল অথবা শুদ্ধ ছোট-ছোট অঙ্গ (সর্বশুদ্ধবালঃ) যাহার সমস্ত শুদ্ধবাল এবং (মণিবালঃ) যাহার মণিবাল অর্থাৎ মণি সমান চমকায় এমন রোম যাহার আছে এমন পশু (তে) তাহারা সকলে (আশ্বিণাঃ) সূর্য্য চন্দ্র দেবতা যুক্ত অর্থাৎ সূর্য্য চন্দ্রের সমান দিব্য গণসম্পন্ন (শ্যেতঃ) সাদা বর্ণযুক্ত (শ্যেতাক্ষঃ) যাহার শ্বেত চক্ষু এবং (অরুণঃ) যাহা লাল রং যুক্ত (তে) তাহারা (পশুপতয়ে) পশুদিগের রক্ষাকারী এবং (রুদ্রায়) দুষ্টদিগকে রোদনকারীদের জন্য যাহারা এমন যে, (কর্ণাঃ) যদ্দ্বারা কর্ম্ম করে তাহারা (য়ামাঃ) বায়ু দেবতা যুক্ত (অবলিপ্তাঃ) যাহার উন্নতিযুক্ত অঙ্গ অর্থাৎ স্থূল শরীর আছে তাহারা (রৌদ্রাঃ) প্রাণবায়ু আদি দেবতাযুক্ত তথা (নভোরূপাঃ) যাহার আকাশসমান নীল রূপ এমন যে সব পশু তাহারা সব (পার্জন্যাঃ) মেঘ দেবতা যুক্ত তোমাকে জানা উচিত ॥ ৩ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–যে যে পশুর দেবতা সে তাহার গুণ ইহা জানা উচিত ॥ ৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - শু॒দ্ধবা॑লঃ স॒র্বশু॑দ্ধবালো মণি॒বাল॒স্তऽআ॑শ্বি॒নাঃ শ্যেতঃ॑ শ্যেতা॒ক্ষো᳖ऽরু॒ণস্তে রু॒দ্রায়॑ পশু॒পত॑য়ে ক॒র্ণা য়া॒মাऽঅ॑বলি॒প্তা রৌ॒দ্রা নভো॑রূপাঃ পার্জ॒ন্যাঃ ॥ ৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - শুদ্ধবাল ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অশ্ব্যাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃদতিজগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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