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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 36
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अश्विन्यादयो देवताः छन्दः - निचृज्जगती स्वरः - निषादः
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    ए॒ण्यह्नो॑ म॒ण्डूको॒ मूषि॑का ति॒त्तिरि॒स्ते स॒र्पाणां॑ लोपा॒शऽआ॑श्वि॒नः कृष्णो॒ रात्र्या॒ऽऋक्षो॑ ज॒तूः सु॑षि॒लीका॒ तऽइ॑तरज॒नानां॒ जह॑का वैष्ण॒वी॥३६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒णी। अह्नः॑। म॒ण्डूकः॑। मूषि॑का। ति॒त्तिरिः॑। ते। स॒र्पाणा॑म्। लो॒पा॒शः। आ॒श्वि॒नः ॥ कृष्णः॑। रात्र्यै॑। ऋक्षः॑। ज॒तूः। सु॒षि॒लीकेति॑ सुषि॒ऽलीका॑। ते। इ॒त॒र॒ज॒नाना॒मिती॑तरऽज॒नाना॑म्। जह॑का। वै॒ष्ण॒वी ॥३६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एण्यह्नो मण्डूको मूषिका तित्तिरिस्ते सर्पाणाँल्लोपाशऽआश्विनः कृष्णो रात्र्याऽऋक्षो जतूः सुषिलीका तऽइतरजनानाञ्जहका वैष्णवी ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    एणी। अह्नः। मण्डूकः। मूषिका। तित्तिरिः। ते। सर्पाणाम्। लोपाशः। आश्विनः॥ कृष्णः। रात्र्यै। ऋक्षः। जतूः। सुषिलीकेति सुषिऽलीका। ते। इतरजनानामितीतरऽजनानाम्। जहका। वैष्णवी॥३६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 36
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ– হে মনুষ্যগণ! যে (এণী) হরিণী উহা (অহ্বঃ) দিনের অর্থ যে (মন্ডূকঃ) মন্ডূক (মূষিকা) মূষিকা এবং (তিত্তিরিঃ) তিত্তিরি পক্ষিণী (তে) উহারা (সর্পনাম্) সর্পদের অর্থ যে (লোপাশঃ) কেউ বনচর বিশেষ পশু উহা (আশ্বিনঃ) অশ্বি দেবতাযুক্ত যে (কৃষ্ণঃ) কৃষ্ণ বর্ণের হরিণাদি উহা (রাত্রৈ) রাত্রির জন্য যে (ঋক্ষঃ) ঋক্ষ (জতূঃ) জতূ নামক এবং (মুষিলীকা) মুষিলীকা পক্ষী (তে) উহারা (ইতরজনানাম্) এবং মনুষ্যদিগের অর্থ এবং (জহকা) অঙ্গগুলির সঙ্কোচকারিণী পক্ষিণী (বৈষ্ণবী) বিষ্ণু দেবতা যুক্তা তোমার জানা উচিত ॥ ৩৬ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ– যে সমস্ত দিনাদি গুণযুক্ত পশুপক্ষী বিশেষ উহারা সেই সেই গুণ দ্বারা জানিবার যোগ্য ॥ ৩৬ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - এ॒ণ্যহ্নো॑ ম॒ণ্ডূকো॒ মূষি॑কা তি॒ত্তিরি॒স্তে স॒র্পাণাং॑ লোপা॒শऽআ॑শ্বি॒নঃ কৃষ্ণো॒ রাত্র্যা॒ऽঋক্ষো॑ জ॒তূঃ সু॑ষি॒লীকা॒ তऽই॑তরজ॒নানাং॒ জহ॑কা বৈষ্ণ॒বী ॥ ৩৬ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - এণীত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অশ্বিন্যাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃজ্জগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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