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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 33
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - मित्रादयो देवताः छन्दः - भुरिगतिगती स्वरः - निषादः
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    सौ॒री ब॒लाका॑ शा॒र्गः सृ॑ज॒यः श॒याण्ड॑क॒स्ते मै॒त्राः सर॑स्वत्यै॒ शारिः॑ पुरुष॒वाक् श्वा॒विद् भांै॒मी शा॑र्दू॒लो वृकः॒ पृदा॑कु॒स्ते म॒न्यवे॒ सर॑स्वते॒ शुकः॑ पुरुष॒वाक्॥३३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सौ॒री। ब॒लाका॑। शा॒र्गः। सृ॒ज॒यः। श॒याण्ड॑क॒ इति॑ शय॒ऽआण्ड॑कः। ते। मै॒त्राः। सर॑स्वत्यै। शारिः॑। पु॒रु॒ष॒वागिति॑ पुरुष॒ऽवाक्। श्वा॒वित्। श्व॒विदिति॑ श्व॒ऽवित्। भौ॒मी। शा॒र्दू॒लः। वृकः॑। पृदा॑कुः। ते। म॒न्यवे॑। सर॑स्वते। शुकः॑। पु॒रु॒ष॒वागिति॑ पुरुष॒ऽवाक्॥३३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सौरी बलाका शार्गः सृजयः शयाण्डकस्ते मैत्राः सरस्वत्यै शारिः पुरुषवाक्श्वाविद्भौमी शार्दूलो वृकः पृदाकुस्ते मन्यवे सरस्वते शुकः पुरुषवाक् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सौरी। बलाका। शार्गः। सृजयः। शयाण्डक इति शयऽआण्डकः। ते। मैत्राः। सरस्वत्यै। शारिः। पुरुषवागिति पुरुषऽवाक्। श्वावित्। श्वविदिति श्वऽवित्। भौमी। शार्दूलः। वृकः। पृदाकुः। ते। मन्यवे। सरस्वते। शुकः। पुरुषवागिति पुरुषऽवाक्॥३३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 33
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    पदार्थ -
    পদার্থ –হে মনুষ্যগণ! (সৌরী) যাহার সূর্য্য দেবতা সে (বলাকা) বলাকা তথা যে (শার্গঃ) চাতক পক্ষী (সৃজয়ঃ) সৃজয় নাম যুক্ত এবং (শয়ান্ডকঃ) শয়ান্ডক পক্ষী (তে) তাহারা (মৈত্রাঃ) প্রাণ দেবতাযুক্ত (শারিঃ) শুকী (পুরুষবাক্) পুরুষের সমান বক্তা শুক (সরস্বত্যৈ) নদীর জন্য (শ্বাবিৎ) সজারু (ভৌমী) ভূমি দেবতাযুক্ত যে (শার্দূলঃ) কেশরী সিংহ (বৃকঃ) নেকড়ে এবং (পৃদাকুঃ) সর্প, (তে) তাহারা (মন্যবে) ক্রোধের জন্য তথা (শুকঃ) শুদ্ধিকারী শুক পক্ষী এবং (পুরুষবাক্) যাহার মনুষ্যের সমান বাণী সেই পক্ষী (সরস্বতে) সমুদ্রের জন্য তোমাকে জানা উচিত ॥ ৩৩ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–যে সব বলকাদি পক্ষী তাহাদের মধ্যে কেহ কেহ পালন করিবার ও তাড়না দিবার যোগ্য, ইহা জানা উচিত ॥ ৩৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - সৌ॒রী ব॒লাকা॑ শা॒র্গঃ সৃ॑জ॒য়ঃ শ॒য়াণ্ড॑ক॒স্তে মৈ॒ত্রাঃ সর॑স্বত্যৈ॒ শারিঃ॑ পুরুষ॒বাক্ শ্বা॒বিদ্ ভৌমী শা॑র্দূ॒লো বৃকঃ॒ পৃদা॑কু॒স্তে ম॒ন্যবে॒ সর॑স্বতে॒ শুকঃ॑ পুরুষ॒বাক্ ॥ ৩৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - সৌরীত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । মিত্রাদয়ো দেবতাঃ । ভুরিগতিজগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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