Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 34/ मन्त्र 49
    ऋषिः - प्राजापत्यो यज्ञ ऋषिः देवता - ऋषयो देवताः छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    1

    स॒हस्तो॑माः स॒हच्छ॑न्दसऽआ॒वृतः॑ स॒हप्र॑मा॒ऽऋष॑यः स॒प्त दैव्याः॑।पूर्वे॑षां॒ पन्था॑मनु॒दृश्य॒ धीरा॑ऽअ॒न्वाले॑भिरे र॒थ्यो̫ न र॒श्मीन्॥४९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒हस्तो॑मा॒ इति॑ स॒हऽस्तो॑माः। स॒हछ॑न्दस॒ इति॑ स॒हऽछ॑न्दसः। आ॒वृत॒ इत्या॒ऽवृतः॑। स॒हप्र॑मा॒ इति॑ स॒हऽप्र॑माः। ऋष॑यः। स॒प्त। दैव्याः॑। पूर्वे॑षाम्। पन्था॑म्। अ॒नु॒दृश्येत्य॑नु॒ऽदृश्य॑। धीराः॑। अ॒न्वाले॑भिर॒ इत्य॑नु॒ऽआले॑भिरे॒। र॒थ्यः᳕। न। र॒श्मीन् ॥४९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहस्तोमाः सहच्छन्दसऽआवृतः सहप्रमाऽऋषयः सप्त दैव्याः । पूर्वेषाम्पन्थामनुदृश्य धीराऽअन्वालेभिरे रथ्यो न रश्मीन् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सहस्तोमा इति सहऽस्तोमाः। सहछन्दस इति सहऽछन्दसः। आवृत इत्याऽवृतः। सहप्रमा इति सहऽप्रमाः। ऋषयः। सप्त। दैव्याः। पूर्वेषाम्। पन्थाम्। अनुदृश्येत्यनुऽदृश्य। धीराः। अन्वालेभिर इत्यनुऽआलेभिरे। रथ्यः। न। रश्मीन्॥४९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 34; मन्त्र » 49
    Acknowledgment

    भावार्थ -
    (रथ्यः) रथारोही पुरुष (न) जिस प्रकार ( रश्मीन् ) घोड़ों की रासों को थामते हैं और वे (सहस्तोमाः) अपने दल के सदा साथ रहते हैं, (सहच्छन्दसः) एक साथ एक चाल से चलते हैं, (सहप्रमाः) वे एक साथ प्रयाण करते हैं और ( पूर्वेषाम् पन्थाम् अनुदृश्य रश्मीन् अनु आलेभिरे ) अपने से पहले गये हुए योद्धा नेताओं के मार्ग को देखकर घोड़ों की रासों को चलाते हैं उसी प्रकार (धीराः) ध्यान-योगशील, धीर, पुरुष (दैव्याः) विजयशील देव, राजा या परमेश्वर के अनुयायी, भक्त, (सप्त) शरीर में सात प्राणों के समान, एवं सदा सर्पणशील, आगे बढ़ने वाले, (ऋषयः) तर्कशील, ज्ञानद्रष्टा विद्वान् ऋषिगण भी (पूर्वेषां पन्थाम् ) अपने पूर्व के विद्वान् पुरुषों के मार्ग को (अनुदृश्य) भली प्रकार देख कर(सहस्तोमाः) एक साथ वेदस्तुतियों का प्रवचन करने वाले, (सहच्छन्दसः) एक साथ गुरु के अधीन वेदपाठ करने वाले, (सहप्रमा:) एक साथ समान रूप से यथार्थ ज्ञान करने हारे, (दैव्याः) गुण कर्म में कुशल( आवृताः) गुरुकुलों से समावर्त्तन से स्नातक होकर (रश्मीन् अनुआलेभिरे) गृहस्थ और राजकार्य की रासों को ग्रहण करते हैं ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - प्राजापत्यो यज्ञ. । ऋषयः । त्रिष्टुप् । धैवतः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top