यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 21
ऋषिः - हैमवर्चिर्ऋषिः
देवता - सोमो देवता
छन्दः - अनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
162
धा॒नाः क॑र॒म्भः सक्त॑वः परीवा॒पः पयो॒ दधि॑। सोम॑स्य रू॒पꣳ ह॒विष॑ऽआ॒मिक्षा॒ वजि॑नं॒ मधु॑॥२१॥
स्वर सहित पद पाठधा॒नाः। क॒र॒म्भः। सक्त॑वः। प॒री॒वा॒प इति॑ परि॑ऽवा॒पः। पयः॑। दधि॑। सोम॑स्य। रू॒पम्। ह॒विषः॑। आ॒मिक्षा॑। वाजि॑नम्। मधु॑ ॥२१ ॥
स्वर रहित मन्त्र
धानाः करम्भः सक्तवः परीवापः पयो दधि । सोमस्य रूपँ हविष आमिक्षा वाजिनम्मधु ॥
स्वर रहित पद पाठ
धानाः। करम्भः। सक्तवः। परीवाप इति परिऽवापः। पयः। दधि। सोमस्य। रूपम्। हविषः। आमिक्षा। वाजिनम्। मधु॥२१॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
के पदार्था हविष्या इत्याह॥
अन्वयः
हे मनुष्याः! यूयं हविषस्सोमस्य रूपं धानाः करम्भः सक्तवः परीवापः पयो दध्यामिक्षा वाजिनं मधु च विजानीत॥२१॥
पदार्थः
(धानाः) भृष्टयवादयः (करम्भः) करोति मथनं येन सः (सक्तवः) (परीवापः) परितः सर्वतो वापो बीजारोपणं यस्मिन् सः (पयः) दुग्धम् (दधि) (सोमस्य) अभिषोतुमर्हस्य (रूपम्) (हविषः) होतुमर्हस्य (आमिक्षा) दधिदुग्धमिष्टैर्निर्मिता (वाजिनम्) वाजः प्रशस्तान्यन्नानि विद्यन्ते येषु तेषामिदं सारं वस्तु (मधु) मधुरम्॥२१॥
भावार्थः
ये पदार्थाः पुष्टिसुगन्धमधुररोगनाशकत्वगुणयुक्तात्सन्ति, ते हविः संज्ञका सन्ति॥२१॥
हिन्दी (3)
विषय
कौन पदार्थ होम के योग्य हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे मनुष्यो! तुम लोग (हविषः) होम करने योग्य (सोमस्य) यन्त्र द्वारा खींचने योग्य ओषधिरूप रस के (रूपम्) रूप को (धानाः) भुने हुए अन्न (करम्भः) मथन का साधन (सक्तवः) सत्तू (परीवापः) सब ओर से बीज का बोना (पयः) दूध (दधि) दही (आमिक्षा) दही, दूध, मीठे का मिलाया हुआ (वाजिनम्) प्रशस्त अन्नों को सम्बन्धी सार वस्तु और (मधु) सहत के गुण को जानो॥२१॥
भावार्थ
जो पदार्थ पुष्टिकारक, सुगन्धयुक्त, मधुर और रोगनाशक गुणयुक्त हैं, वे होम करने के योग्य हविः संज्ञक हैं॥२१॥
विषय
राजा का बल-सम्पादन । राष्ट्रयज्ञ का विस्तार ।
भावार्थ
यज्ञ में (धानाः) भुने धान, खीलें, (करम्भः) भात की लप्सी, (सक्तवः) सत्तु, (परीवापः ) हविष्य, ( पयः) दूध, (दधि), दही (आमिक्षा) गरम दूध में खट्टा डालने से फटे दूध के स्थूल भाग आमिक्षा और ( वाजिनम् ) जल भाग 'वाजिन' और (मधु ) मधुर मधु, ये सब पदार्थ (सोमस्य ) सोमरूप ( हनिष: ) अन्न हवि का ( रूपम् ) रूप हैं । उसी प्रकार राष्ट्र में भी (धानाः) धारण पोषण करने वाली गौएं, (करम्भः) राज्य के कार्य करने वाले कर्मचारीगण, (सक्तवः) समूह या संघ में एकत्र प्रजागण, ( परीवापः ) पृथ्वी पर सर्वत्र अन्न आदि बीजों का भावपन और शत्रु का नाशन, ( पयः) पुष्टिकारी पदार्थों का संग्रह, (दधि) धारण पोषण के उपाय, (अमिक्षा) राजा और प्रजा के हितकारियों का सम्मिलित गण, ( वाजिनम् ) पशु समृद्धि और (मधु ) अन्न समृद्धि, ये सब (हविषः) ग्रहण करने योग्य ( सोमस्य ) राष्ट्र, ऐश्वर्य और राजा का ( रूपम् ) उज्ज्वल रूप हैं |
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सोमः । अनुष्टुप् । गान्धारः ॥
विषय
हविष्य अन्न [first grade]
पदार्थ
१. गतमन्त्रों का विषय 'उत्तम सन्तान की प्राप्ति कैसे हो सकती है', यह था । अपनी उत्तम वृत्ति से ही हम सन्तानों को उत्तम बना पाएँगे। उस उत्तम वृत्ति के निर्माण के लिए भोजन का उत्तम होना अत्यन्त आवश्यक है। इन भोजनों में 'वानस्पतिक भोजन' उत्तम है। वास्तव में मांस तो भोजन कहे जाने योग्य ही नहीं। इन वनस्पतियों व ओषधियों का राजा 'सोम' है। 'कौषीतकी उपनिषद् २३।७' के अनुसार 'एतद्वै परममन्नाद्यं सोमः' सोम परम अन्नाद्य - सर्वोत्कृष्ट भोजन है। 'हविर्वै देवतानां सोमः ' - श० १।३।५३।२ देवताओं का सोम ही दानपूर्वक अदन करने योग्य पदार्थ है। २. इसी (हविषः सोमस्य)' दानपूर्वक अदन के योग्य सोम के (रूपम्) = [Kind, sort, species] स्थानापन्न तज्जातीय पदार्थ निम्न हैं- [क] (धाना:) = भुने हुए जौ, [ख] (करम्भः) = दधिमिश्रित सत्तु, [ग] (सक्तवः) = सत्तू [घ] परीवापः = भुने हुए चावल या घनीभूत दूध [ङ] (पय:) = दूध [च] (दधि) = दही, [छ] (आमिक्षा) = उष्ण दूध में दही डालने पर जो दूध का घनभाग होता है, वह आमिक्षा है, [ज] (वाजिनम्) = घनभाग के अतिरिक्त जो पानी-सा है यह 'वाजिनं' कहलाता है, [झ] (मधु) = शहद। ३. ये नौ पदार्थ सोम की जाति के हैं। सोम के साथ मिलकर इनकी संख्या दस हो जाती हैं। इन दस हविष्य अन्नों के प्रयोग से हम अपने अन्तःकरणों को उत्तम बनाकर उत्तम आचरणवाले होते हैं और वैसी ही सन्तानों को प्राप्त करते हैं।
भावार्थ
भावार्थ- हम हविष्य पदार्थों का ही सेवन करें, जिससे शुद्धान्तकरणोंवाले हो सकें।
मराठी (2)
भावार्थ
जे पदार्थ पुष्टिकारक, सुगंधयुक्त मधुर व रोगनाशक गुणांनी युक्त असतात ते होम करण्यायोग्य (हविः संज्ञक) असतात.
विषय
यज्ञासाठी कोणते पदार्थ योग्य आहेत, याविषयी -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे मनुष्यानो, (तुम्ही यज्ञासाठी आवश्यक या वस्तूंचे गुण ओळखा व त्या पदार्थांचा संग्रह करा) तुम्ही (हविषः) होम करण्यासाठी आवश्यक (सोमस्य) यंत्राच्या साह्याने काढलेला औषधी रसाचे (रूपम्) रूप (आणि गुण ओळखा) तसेच (धानाः) भाजलेले धान्य (वा शिजविलेले अन्न), (करम्भः) मंथनाची साधनें (रवी, भांडे घुसळणी आदी), (सक्तवः) सातू वाजव (परीवापः) पेरलेले व उगवलेले बी (व कोरड्या वनस्पती), (पयः) दूध (दधि) दहि (आमिक्षा) साखर मिसळलेले दूध-दहीचे गोड मिश्रण, (वाजिनम्) उत्तम धान्यांचे सार आणि (मधु) मधाचे गुण ओळखा (यज्ञासाठी तसे जीवनासाठी आवश्यक या पदार्थांच्या गुणांचे महत्व जाणून घ्या. या पदार्थांच्या यज्ञात आहुती द्या आणि त्यांचे सेवनही करा) ॥21॥
भावार्थ
भावार्थ - जे जे पदार्थ पुष्टिकारक, सुगंधि युक्त, मधुर आणि रोगनाशक तसेच बहुगुणी आहेत, ते होम करण्यासाठी उपयुक्त असतात. तेच पदार्थ हवि-संज्ञक आहेत (म्हणजे यज्ञात त्या वस्तूंचीच आहुती देता येते) ॥21॥
इंग्लिश (3)
Meaning
Roasted grains, gruel barley-meal, grains of roasted rice, milk, and curd, mingled milk, nice corns, and honey are the materials for Soma yajna.
Meaning
Roasted rice, pudding, barley meal, fried grain, milk, curds, mixed milk and curds, best of grains and honey, these are forms of soma, vital energy, and they are holy foods for the sacred fire.
Translation
Roasted paddy, gruel, roasted barley flour, roasted rice, milk and curdled milk, whey and honey, these are the substitutes for the curative extract to be offered as an oblation. (1)
Notes
Amiksā, पयस्या, whey. उष्णे दुग्धे दध्नि क्षिप्ते घनभाग आमिक्षा, शिष्टं वाजिनं, when curd is mixed in boiling milk, the resultant solid part is āmikṣā and the rest is called vājinam. Karambhaḥ, gruel. Parīvāpaḥ, roasted rice. Also, soured milk. Also, efquift:, a series of oblations.
बंगाली (1)
विषय
কে পদার্থা হবিষ্যা ইত্যাহ ॥
কোন্ কোন্ পদার্থ হোমের যোগ্য, এই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ– হে মনুষ্যগণ! তোমরা (হবিষঃ) হোম করিবার যোগ্য (সোমস্য) যন্ত্র দ্বারা আকর্ষণ যোগ্য ওষধিরূপ রসের (রূপম্) রূপকে (ধানাঃ) ভৃষ্ট অন্ন (করম্ভঃ) মন্থনের সাধন (সক্তবঃ) ছাতু (পরীবাপঃ) সব দিক দিয়া বীজ বপন (পয়ঃ) দুগ্ধ (দধি) দই (আমিক্ষা) দই-দুধ মিষ্টি মিলিত (বাজিনম্) প্রশস্ত অন্ন সম্পর্কীয় সার বস্তু (মধু) এবং মধুর গুণকে জানো ॥ ২১ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ– যে সব পদার্থ পুষ্টিকারক, সুগন্ধযুক্ত, মধুর ও রোগনাশক গুণযুক্ত সেগুলি হোম করিবার যোগ্য হবিঃ সংজ্ঞক ॥ ২১ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
ধা॒নাঃ ক॑র॒ম্ভঃ সক্ত॑বঃ পরীবা॒পঃ পয়ো॒ দধি॑ ।
সোম॑স্য রূ॒পꣳ হ॒বিষ॑ऽআ॒মিক্ষা॒ বাজি॑নং॒ মধু॑ ॥ ২১ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
ধানাঃ করম্ভ ইত্যস্য হৈমবর্চির্ঋষিঃ । সোমো দেবতা । অনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
গান্ধারঃ স্বরঃ ॥
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