यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 23
ऋषिः - हैमवर्चिर्ऋषिः
देवता - सोमो देवता
छन्दः - अनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
121
पय॑सो रू॒पं यद्यवा॑ द॒ध्नो रू॒पं क॒र्कन्धू॑नि। सोम॑स्य रू॒पं वाजि॑नꣳ सौ॒म्यस्य॑ रू॒पमा॒मिक्षा॑॥२३॥
स्वर सहित पद पाठपय॑सः। रू॒पम्। यत्। यवाः॑। द॒ध्नः। रू॒पम्। क॒र्कन्धू॑नि। सोम॑स्य। रू॒पम्। वाजि॑नम्। सौ॒म्यस्य॑। रू॒पम्। आ॒मिक्षा॑ ॥२३ ॥
स्वर रहित मन्त्र
पयसो रूपँयद्यवा दध्नो रूपङ्कर्कन्धूनि । सओमस्य रूपँवाजिनँ सौम्यस्य रूपमामिक्षा ॥
स्वर रहित पद पाठ
पयसः। रूपम्। यत्। यवाः। दध्नः। रूपम्। कर्कन्धूनि। सोमस्य। रूपम्। वाजिनम्। सौम्यस्य। रूपम्। आमिक्षा॥२३॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह॥
अन्वयः
हे मनुष्याः! यद्यवास्ते पयसो रूपं कर्कन्धूनीव दध्नो रूपं वाजिनमिव सोमस्य रूपमामिक्षेव सौम्यस्य रूपं सम्पादयत॥२३॥
पदार्थः
(पयसः) दुग्धस्य जलस्य (रूपम्) (यत्) ये (यवाः) (दध्नः) (रूपम्) (कर्कन्धूनि) कर्कन्धु फलानि स्थूलानि पक्वानि बदरीफलानीव (सोमस्य) (रूपम्) (वाजिनम्) बह्वन्नसाररूपम् (सौम्यस्य) सोमानामोषधिसाराणां भावस्य (रूपम्) (आमिक्षा) मधुराम्लादिसंयोगयुक्ता॥२३॥
भावार्थः
अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैर्यस्य यस्यान्नस्य सुन्दरं रूपं यथा स्यात्तस्य तस्य रूपं तथा सदा सम्पादनीयम्॥२३॥
हिन्दी (3)
विषय
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे मनुष्यो! तुम लोग (यत्) जो (यवाः) यव हैं, उनको (पयसः) पानी वा दुग्ध के (रूपम्) रूप (कर्कन्धूनि) मोटे पके हुए बेरी के फलों के समान (दध्नः) दही के (रूपम्) स्वरूप (वाजिनम्) बहुत अन्न के सार के समान (सोमस्य) सोम ओषधि के (रूपम्) स्वरूप और (आमिक्षा) दूध, दही के संयोग से बने पदार्थ के समान (सौम्यस्य) सोमादि ओषधियों के सार होने के (रूपम्) स्वरूप को सिद्ध किया करो॥२३॥
भावार्थ
इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि जिस-जिस अन्न का सुन्दररूप जिस प्रकार हो, उस-उस के रूप को उसी प्रकार सदा सिद्ध करें॥२३॥
विषय
राजा का बल-सम्पादन । राष्ट्रयज्ञ का विस्तार ।
भावार्थ
( पयसः रूपं यद् यवाः ) जौ पयस् दूध के रूप हैं । दूध जिस प्रकार शरीर को पोषक है उसी प्रकार यव, अन्न, राष्ट्र की प्रजा को पुष्ट करता है । 'पयः' पुष्टिकारक वीर्य शरीर का पोषक है । यव, शत्रुओं को दूर करने में समर्थ सैनिक वीरजन राष्ट्र को पुष्ट करते हैं । ( दध्नः रूपं कर्कन्धूनि ) दधि का रूप 'कर्कन्धू' अर्थात् पके बेरी के फल के समान है । दही वीर्य उत्पन्न करता है । पके बेर भी बल उत्पन्न करते हैं । (दध्नः) राष्ट्र में धारण समर्थ बल कांटेदार बेरी की झाड़ियों के समान हैं । बाड़ पशुओं से कोमल विटपों को खाये जाने से बचाती हैं उसी प्रकार शस्त्र धारक वीर सैनिक राज्य के 'दधि' राष्ट्र धार का बल का स्वरूप हैं । ‘कर्कन्धू’—कर्क कण्टकं दधाति इति । कर्कन्धूः । इति दया० उणा० । अथवा कर्कान् कण्टकान् शत्रून् धुन्वते इति कर्कन्धूनि सेनाबलानि । कांटे रखने से ये कण्टकरूप शत्रुओं को धुन देने वाले वीर 'कर्कन्धू' हैं । ( सोमस्य रूपं वाजिनम् ) सोम का रूप 'वाजिन' है । 'सोम', राजा 'वाज' अर्थात् अन्न और बल के स्वामी का रूप है । ( सोमस्य रूपम् आमिक्षा) सोम, राजा का रूप 'आमिक्षा' है अर्थात् प्रजा पर सब सुखों का वर्षण अथवा राज्य के मुख्य पद पर अभिषेक क्रिया होना, अथवा सब ओर से दुष्ट पुरुषों का नाश करना ही राजा का रूप है । 'आमिक्षा' - समन्तात् मेषति हिनस्ति इत्यामिक्षा | दया० उणा० । मेहति सिञ्चति वा सा आमिक्षा |
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सोमः । अनुष्टुप् । गान्धारः ॥
विषय
अन्य उपादेय पदार्थ
पदार्थ
१. (यत् यवाः) = ये जो जौ हैं, वे (पयसः रूपम्) = दूध का स्थानापन्न भोजन हैं, २. (दध्नः रूपम्) = दही का स्थानापन्न भोजन कर्कन्धूनि स्थूल बदरी फल हैं ३. (सोमस्य रूपम्) = सोम का स्थानापन्न (वाजिनम्) = दूध का पतला भाग [whey] है, ४. (सोमस्य) = सोम से बने हुए भोजन का स्थानापन्न (आमिक्षा) = फटे दूध का घनभाग है, जिसमें दही मिलाया गया है, [curd of milk and whey ]
भावार्थ
भावार्थ- ' यव- कर्कन्धु-वाजिन तथा आमिक्षा' ये हमारे प्रिय भोजन हो ।
मराठी (2)
भावार्थ
या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. ज्या ज्या पदार्थांपासून जे जे उत्तम अन्न पदार्थ करता येतात त्या त्या प्रकारे ते तयार करावेत.
विषय
पुढील मंत्रातही तो विषय -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, (यतू) (तुमच्याजवळ) जे (यवाः) जवधान्य आहे, त्याला (पयसः) पाण्याबरोबर वा दुधाबरोबर (रूपम्) मिसळून रूप द्या. (सातू तयार करा) (ते अन्न) (कर्कन्घूनि) पिकलेल्या मोठ्या बोरफळासारखे (पुष्टिकर आहे) (दध्नः) दह्याचे (रूपम्) स्वरूप तसेच (वाजिनम्) अन्नाच्या पुष्टिकारक साराप्रमाणे असलेल्या (सोमस्य) सोम आदी औषधींचासार (रूपम्) स्वरूपाला जाणून घ्या व ते तयार करून सेवन करीत जा ॥23॥
भावार्थ
भावार्थ - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमा अलंकार आहे. मनुष्यांसाठी हे उचित आहे की त्यांनी जे जे धान्य खाण्यास योग्य आहेत, त्यांना शुद्ध, स्वच्छ रूप देऊन त्या पासून विविध प्रकारचे खाद्यपदार्थ तयार करावेत ॥23॥
इंग्लिश (3)
Meaning
Barley-grains are the symbol of milk. Ripe jujube fruits are the symbol of curd. The essence of corn is the symbol of Soma. The juices of Soma plants are like the mixture of milk and curd.
Meaning
Barley is the form of milk. Jujube berry is the form of curd. Grain is the form of soma. And mix of milk or curd is the form of the essence of soma.
Translation
The substitute for milk are the barley grains; the substitute for curd are jujube fruit; the substitute for curative extract is whey; and the substitute for curative essence is curdled milk. (1)
Notes
Karkandhūni, small jujube fruit. Saumyasya, सोमस्य सारस्य, of the curative essence. Also, Soma's pap; चरो:, of an oblation of rice, barley and pulse boiled with butter and milk.
बंगाली (1)
विषय
পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
পুনঃ সেই বিষয়কেপরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! তোমরা (য়ৎ) যে (যবাঃ) যব আছে তাহাদেরকে (পয়সঃ) জল বা দুধের (রূপম্) রূপ (কর্কন্ধূনি) স্থূল পক্ব বদরীর ফল সদৃশ (দধ্নঃ) দধির (রূপম্) স্বরূপ (বাজিনম্) বহু অন্নের সারের সমান (সোমস্য) সোম ওষধির (রূপম্) স্বরূপ এবং (আমিক্ষা) দুগ্ধ-দধির সংযোগ দ্বারা নির্মিত পদার্থের সমান (সৌম্যস্য) সোমাদি ওষধিগুলির সার হওয়ার (রূপম্) স্বরূপকে সিদ্ধ করিতে থাক ॥ ২৩ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ–এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । মনুষ্যদিগের উচিত যে, যে যে অন্নের সুন্দররূপ যে প্রকার হয় সেই সেই প্রকার রূপকে তদ্রূপ সম্পাদন করিবে ॥ ২৩ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
পয়॑সো রূ॒পং য়দ্যবা॑ দ॒ধ্নো রূ॒পং ক॒র্কন্ধূ॑নি ।
সোম॑স্য রূ॒পং বাজি॑নꣳ সৌ॒ম্যস্য॑ রূ॒পমা॒মিক্ষা॑ ॥ ২৩ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
পয়সো রূপমিত্যস্য হৈমবর্চির্ঋষিঃ । সোমো দেবতা । অনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
গান্ধারঃ স্বরঃ ॥
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