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  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 14/ मन्त्र 6
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - द्विपदासुरी गायत्री छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    अ॒द्भिर॑न्ना॒दीभि॒रन्न॑मत्ति॒ य ए॒वं वेद॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒त्ऽभि:। अ॒न्न॒ऽअ॒दीभि॑: । अन्न॑म् । अ॒त्ति॒ । य: । ए॒वम् । वेद॑ ॥१४.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अद्भिरन्नादीभिरन्नमत्ति य एवं वेद ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अत्ऽभि:। अन्नऽअदीभि: । अन्नम् । अत्ति । य: । एवम् । वेद ॥१४.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 14; मन्त्र » 6

    भाषार्थ -
    (यः) जो व्यक्ति (एवम्) इस प्रकार के तथ्य को (वेद) जानता है वह (अन्नादीभिः) अन्नभोगी शारीरिक रस-रक्तों की दृष्टि से (अन्नम्) अन्न को (अत्ति) खाता है।

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