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  • यजुर्वेद - अध्याय 27/ मन्त्र 23
    ऋषिः - वसिष्ठ ऋषिः देवता - वायुर्देवता छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
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    पीवो॑ऽअन्ना रयि॒वृधः॑ सुमे॒धाः श्वे॒तः सि॑षक्ति नि॒युता॑मभि॒श्रीः।ते वा॒यवे॒ सम॑नसो॒ वित॑स्थु॒र्विश्वेन्नरः॑ स्वप॒त्यानि॑ चक्रुः॥२३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पीवो॑अ॒न्नेति॒ पीवः॑ऽअन्ना। र॒यि॒वृध॒ इति॑ रयिऽवृधः॑। सु॒मे॒धा इति॑ सुऽमे॒धाः। श्वे॒तः। सि॒ष॒क्ति॒। सि॒स॒क्तीति॑ सिसक्ति। नि॒युता॒मिति॑ नि॒ऽयुता॑म्। अ॒भि॒श्रीरित्य॑भि॒ऽश्रीः। ते। वा॒यवे॑। सम॑नस॒ इति सऽम॑नसः। वि। त॒स्थुः। विश्वा॑। इत्। नरः॑। स्व॒प॒त्यानीति॑ सुऽअप॒त्यानि॑। च॒क्रुः॒ ॥२३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पीवोऽअन्ना रयिँवृधः सुमेधाः श्वेतः सिषक्ति नियुतामभिश्रीः । ते वायवे समनसो वि तस्थुर्विश्वेन्नरः स्वपत्यानि चक्रुः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    पीवोअन्नेति पीवःऽअन्ना। रयिवृध इति रयिऽवृधः। सुमेधा इति सुऽमेधाः। श्वेतः। सिषक्ति। सिसक्तीति सिसक्ति। नियुतामिति निऽयुताम्। अभिश्रीरित्यभिऽश्रीः। ते। वायवे। समनस इति सऽमनसः। वि। तस्थुः। विश्वा। इत्। नरः। स्वपत्यानीति सुऽअपत्यानि। चक्रुः॥२३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 27; मन्त्र » 23
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ– যাহারা (সমনসঃ) তুল্য জ্ঞানযুক্ত (রয়িবৃধঃ) ধনবৃদ্ধি কারী (সুমেধাঃ) সুন্দর বুদ্ধিমান (নরঃ) নায়ক পুরুষ (পীবোঅন্না) পুষ্টিকারক অন্নযুক্ত (বিশ্বা) সকল (স্বপত্যানি) সুন্দর সন্তানদিগকে (চক্রুঃ) করিবে (তে) তাহারা (ইৎ)(বায়বে) বায়ুর বিদ্যাহেতু (বি, তস্থুঃ) বিশেষ করিয়া স্থিত হইবে যখন (নিয়ুতাম্) নিশ্চিত গমনকারী ব্যক্তিদের (অভিশ্রীঃ) সকল দিক দিয়া শোভাযুক্ত (শ্বেতঃ) গমনশীল বা উন্নতিকারী বায়ু সকলকে (সিষক্তি) সিঞ্চন করে তখন সে শোভাযুক্ত হয় ॥ ২৩ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । যেমন বায়ু সকলের জীবনের মূল, সেইরূপ উত্তম সন্তান সকলের সুখের নিমিত্ত হইয়া থাকে ॥ ২৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - পীবো॑ऽঅন্না রয়ি॒বৃধঃ॑ সুমে॒ধাঃ শ্বে॒তঃ সি॑ষক্তি নি॒য়ুতা॑মভি॒শ্রীঃ ।
    তে বা॒য়বে॒ সম॑নসো॒ বি ত॑স্থু॒র্বিশ্বেন্নরঃ॑ স্বপ॒ত্যানি॑ চক্রুঃ ॥ ২৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - পীবো অন্নেত্যস্য বসিষ্ঠ ঋষিঃ । বায়ুর্দেবতা । নিচৃৎত্রিষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

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