Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 27/ मन्त्र 36
    ऋषिः - शंयुर्बार्हस्पत्य ऋषिः देवता - परमेश्वरो देवता छन्दः - निचृत् पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
    9

    न त्वावाँ॑ २॥ऽ अ॒न्यो दि॒व्यो न पार्थि॑वो॒ न जा॒तो न ज॑निष्यते।अ॒श्वा॒यन्तो॑ मघवन्निन्द्र वा॒जिनो॑ ग॒व्यन्त॑स्त्वा हवामहे॥३६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    न। त्वावा॒निति॒ त्वाऽवा॑न्। अ॒न्यः। दि॒व्यः। न। पार्थि॑वः। न। जा॒तः। न। ज॒नि॒ष्य॒ते॒। अ॒श्वा॒यन्तः॑। अ॒श्व॒यन्त॒ इत्य॑श्व॒ऽयन्तः॑। म॒घ॒व॒न्निति॑ मघऽवन्। इ॒न्द्र॒। वा॒जिनः॑। ग॒व्यन्तः॑। त्वा॒। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥३६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    न त्वावाँऽअन्यो दिव्यो न पार्थिवो न जातो न जनिष्यते । अश्वायन्तो मघवन्निन्द्र वाजिनो गव्यन्तस्त्वा हवामहे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    न। त्वावानिति त्वाऽवान्। अन्यः। दिव्यः। न। पार्थिवः। न। जातः। न। जनिष्यते। अश्वायन्तः। अश्वयन्त इत्यश्वऽयन्तः। मघवन्निति मघऽवन्। इन्द्र। वाजिनः। गव्यन्तः। त्वा। हवामहे॥३६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 27; मन्त्र » 36
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    পদার্থঃ– হে (মঘবন্) পরমপূজিত ঐশ্বর্য্যসম্পন্ন (ইন্দ্র) সকল দুঃখ বিনাশক পরমেশ্বর! (বাজিনঃ) বেগযুক্ত (গব্যন্তঃ) উত্তম বাণী বলিতে থাকিয়া (অশ্বায়ন্তঃ) শীঘ্রতা কামনাকারী আমরা (ত্বা) আপনার (হবামহে) স্তুতি করি কেননা যে কারণে কোন (অন্যঃ) অন্য পদার্থ (ন) না কেহ (ত্বাবান্) আপনার তুল্য (দিব্যঃ) শুদ্ধ (ন) না কেহ (পার্থিবঃ) পৃথিবীর উপর প্রসিদ্ধ (ন) না কেহ (জাতঃ) উৎপন্ন হইয়াছে এবং (ন) না (জনিষ্যতে) হইবে, এইজন্য আপনিই আমাদের উপাস্যদেব ॥ ৩৬ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ– না কেহ পরমেশ্বর তুল্য শুদ্ধ হইয়াছে, না হইবে এবং না আছে । এইজন্য সকল মনুষ্যদিগের উচিত যে, ইহাকে ত্যাগ করিয়া অন্য কাহারও উপাসনা ইহার স্থানে কদাপি করিবে না । এই কর্ম এই লোক পরলোক আনন্দদায়ক জানিবে ॥ ৩৬ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - ন ত্বাবাঁ॑ ২ ॥ ऽ অ॒ন্যো দি॒ব্যো ন পার্থি॑বো॒ ন জা॒তো ন জ॑নিষ্যতে ।
    অ॒শ্বা॒য়ন্তো॑ মঘবন্নিন্দ্র বা॒জিনো॑ গ॒ব্যন্ত॑স্ত্বা হবামহে ॥ ৩৬ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ন ত্বাবানিত্যস্য শংয়ুর্বার্হস্পত্য ঋষিঃ । পরমেশ্বরো দেবতা । নিচৃৎ পংক্তিশ্ছন্দঃ । পঞ্চমঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top