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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 23/ मन्त्र 17
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - दैवी पङ्क्तिः सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त

    विं॑श॒तिः स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विं॒श॒तिः। स्वाहा॑ ॥२३.१७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विंशतिः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विंशतिः। स्वाहा ॥२३.१७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 23; मन्त्र » 17

    टिप्पणीः - १७−(विंशतिः) यथा म०१६, चतुर्थीस्थाने प्रथमा, विशेषणपदलोपश्च। पञ्च सूक्ष्मभूतानि, पञ्च स्थूलभूतानि, पञ्च ज्ञानेन्द्रियाणि पञ्च कर्मेन्द्रियाणि चेति विंशतिर्विद्यास्ताभ्यः ॥

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