अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 23/ मन्त्र 18
सूक्त - अथर्वा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी जगती
सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त
म॑हत्का॒ण्डाय॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठम॒ह॒त्ऽका॒ण्डाय॑। स्वाहा॑ ॥२३.१८॥
स्वर रहित मन्त्र
महत्काण्डाय स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठमहत्ऽकाण्डाय। स्वाहा ॥२३.१८॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 23; मन्त्र » 18
सूचना -
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः - १८−(महत्काण्डाय) कादिभ्यः कित्। उ०१।११५। कमु कन वा कान्तौ-ड प्रत्ययो दीर्घश्च, यद्वा कडि भेदने संरक्षणे च-घञ्। महतां विदुषां संरक्षकाय वेदाय ॥
इस भाष्य को एडिट करें