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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 23/ मन्त्र 6
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - दैवी त्रिष्टुप् सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त

    न॑व॒र्चेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    न॒व॒ऽऋ॒चेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२३.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नवर्चेभ्यः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नवऽऋचेभ्यः। स्वाहा ॥२३.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 23; मन्त्र » 6

    टिप्पणीः - ६−(नवर्चेभ्यः) म०१। नवद्वारपुरस्य शरीरस्य स्तुत्या विद्या येषु वेदेषु तेभ्यः। द्वे श्रोत्रे चक्षुषी नासिके च मुखमेकं द्वे पायूपस्थे-इति शरीरस्य नवछिद्ररूपाणि द्वाराणि ॥

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