Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 29/ मन्त्र 39
    ऋषिः - भारद्वाज ऋषिः देवता - वीरा देवताः छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    0

    धन्व॑ना॒ गा धन्व॑ना॒जिं ज॑येम॒ धन्व॑ना ती॒व्राः स॒मदो॑ जयेम।धनुः॒ शत्रो॑रपका॒मं कृ॑णोति॒ धन्व॑ना॒ सर्वाः॑ प्र॒दिशो॑ जयेम॥३९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    धन्व॑ना। गाः। धन्व॑ना। आ॒जिम्। ज॒ये॒म॒। धन्व॑ना। ती॒व्राः। स॒मद॒ इति॑ स॒ऽमदः॑। ज॒ये॒म॒। धनुः। शत्रोः॑। अ॒प॒का॒ममित्य॑पऽका॒मम्। कृ॒णो॒ति॒। धन्व॑ना। सर्वाः॑। प्र॒दिश॒ इति॑ प्र॒ऽदिशः॑। ज॒ये॒म॒ ॥३९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    धन्वना गा धन्वनाजिञ्जयेम धन्वना तीव्राः समदो जयेम । धनुः शत्रोरपकामङ्कृणोति धन्वना सर्वाः प्रदिशो जयेम ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    धन्वना। गाः। धन्वना। आजिम्। जयेम। धन्वना। तीव्राः। समद इति सऽमदः। जयेम। धनुः। शत्रोः। अपकाममित्यपऽकामम्। कृणोति। धन्वना। सर्वाः। प्रदिश इति प्रऽदिशः। जयेम॥३९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 29; मन्त्र » 39
    Acknowledgment

    भावार्थ -
    ( धन्वना ) धनुष से हम ( गाः जयेम ) गौओं और भूमिर्यो को विजय करें । ( धन्वना आजिम् ) धनुष के बल से हम संग्राम का ( जयेम ) विजय करें । ( धन्वना) धनुष के बल से ( तीव्राः ) अति तीव्र आने वाली (समदा: ) मद और हर्ष, गर्व और उत्साह से भरी शत्रु सेनाओं का ( जयेम) विजय करें । (धनुः) धनुष (शत्रोः) शत्रु के (अपकामम् ) मन चाहे फल का नाश (कृणोति) कर देता है और ( धन्वना ) धनुष से हम (सर्वाः प्रदिशः) समस्त दिशाओं का ( जयेम ) विजय करें ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - वीराः । त्रिष्टुप् । धैवतः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top