ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 34/ मन्त्र 19
ऋषिः - वसिष्ठः
देवता - विश्वेदेवा:
छन्दः - भुरिगार्चीगायत्री
स्वरः - षड्जः
तप॑न्ति॒ शत्रुं॒ स्व१॒॑र्ण भूमा॑ म॒हासे॑नासो॒ अमे॑भिरेषाम् ॥१९॥
स्वर सहित पद पाठतप॑न्ति । शत्रु॑म् । स्वः॑ । न । भूम॑ । म॒हाऽसे॑नासः । अमे॑भिः । ए॒षा॒म् ॥
स्वर रहित मन्त्र
तपन्ति शत्रुं स्व१र्ण भूमा महासेनासो अमेभिरेषाम् ॥१९॥
स्वर रहित पद पाठतपन्ति। शत्रुम्। स्वः। न। भूम। महाऽसेनासः। अमेभिः। एषाम् ॥१९॥
ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 34; मन्त्र » 19
अष्टक » 5; अध्याय » 3; वर्ग » 26; मन्त्र » 9
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अष्टक » 5; अध्याय » 3; वर्ग » 26; मन्त्र » 9
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
के शत्रुनिवारणे समर्था भवन्तीत्याह ॥
अन्वयः
ये महासेनास एषाममेभिः शत्रुं तपन्ति तैस्सह राजादयो वयं स्वर्न भूम ॥१९॥
पदार्थः
(तपन्ति) (शत्रुम्) (स्वः) सुखम् (न) इव (भूम) भवेम। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (महासेनासः) महती सेना येषान्ते (अमेभिः) बलादिभिः (एषाम्) वीराणाम् ॥१९॥
भावार्थः
हे राजन् ! यदि भवता योद्धॄणां शूरवीराणां सेना सत्कृत्य रक्ष्येत तर्हि ते शत्रवो निलीयेरन् सुखं च सततं वर्धेत ॥१९॥
हिन्दी (3)
विषय
कौन शत्रुओं के निवारण में समर्थ होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
पदार्थ
(महासेनासः) जिनकी बड़ी सेना है वे जन (एषाम्) इन वीरों के (अमेभिः) बलादिकों से (शत्रुम्) शत्रु को (तपन्ति) तपाते हैं उनसे साथ राजा आदि हम लोग (स्वः) सुख (न) जैसे हो वैसे (भूम) प्रसिद्ध हों ॥१९॥
भावार्थ
हे राजन् ! यदि आपसे योद्धा शूरवीर जनों की सेना सत्कार कर रक्खी जाय तो आप के शत्रुजन बिला जायें और सुख निरन्तर बढ़े ॥१९॥
विषय
क्षत्रतापन ।
भावार्थ
( एषाम् ) इन उत्तम नायकों के ( अमै: ) सहायक सैन्य बलों से युक्त होकर ( महा-सेनासः ) बड़ी सेनाओं के स्वामी लोग ( भूमा स्वः न ) भुवनों को सूर्य के समान प्रचण्ड होकर ( शत्रुं तपन्ति ) शत्रु को तपावें । अथवा इनके बलों से राजा लोग शत्रुओं को तपावें, हम भी बड़ी सेना के स्वामी हों ।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
वसिष्ठ ऋषिः ॥ १-१५, १८-२५ विश्वे देवाः। १६ अहिः। १७ र्बुध्न्यो देवता। छन्दः— १, २, ५, १२, १३, १४, १६, १९, २० भुरिगर्चीगायत्री। ३,४,१७ आर्ची गायत्री । ६,७,८,९,१०,११,१५,१८,२१ निचृत्त्रिपादगायत्री। २२,२४ निचृदार्षी त्रिष्टुप् । २३ आर्षी त्रिष्टुप् । २५ विराडार्षी त्रिष्टुप् च ॥ पञ्चविंशत्यृचं सूक्तम् ॥
विषय
यशस्वी नेता
पदार्थ
पदार्थ - (एषाम्) = इन नायकों के (अमैः) = सहायक सैन्य बलों से युक्त होकर (महा-सेनासः) = बड़ी सेनाओं के स्वामी लोग (भूमा स्वः न) = भुवनों को सूर्य के समान प्रचण्ड होकर (शत्रुं तपन्ति) = शत्रु को तपावें ।
भावार्थ
भावार्थ- राष्ट्र का नायक महान् सैन्य बलों के द्वारा शत्रुओं पर आक्रमण कर विजय प्राप्त करे तथा अपनी प्रजा में यशस्वी बने ।
मराठी (1)
भावार्थ
हे राजा ! जर योद्धे असलेल्या शूरवीर सेनेचा सत्कार केलास तर तुझ्या शत्रूंचे दहन होईल व सुख वाढेल. ॥ १९ ॥
इंग्लिश (1)
Meaning
Leaders and commanders of mighty forces, they mortify and purge or defeat and destroy the enemies by these forces. Let us then be happy as in heaven on earth.
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