यजुर्वेद - अध्याय 36/ मन्त्र 16
तस्मा॒ऽ अरं॑ गमाम वो॒ यस्य॒ क्षया॑य॒ जिन्व॑थ।आपो॑ ज॒नय॑था च नः॥१६॥
स्वर सहित पद पाठतस्मै॑। अर॑म्। ग॒मा॒म॒। वः॒। यस्य॑। क्षया॑य। जिन्व॑थ ॥ आपः॑। ज॒नय॑थ। च॒। नः॒ ॥१६ ॥
स्वर रहित मन्त्र
तस्माऽअरङ्गमाम वो यस्य क्षयाय जिन्वथ । आपो जनयथा च नः ॥
स्वर रहित पद पाठ
तस्मै। अरम्। गमाम। वः। यस्य। क्षयाय। जिन्वथ॥ आपः। जनयथ। च। नः॥१६॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह॥
अन्वयः
हे स्त्रियो! यथा यूयं नोऽस्मानाप इव शान्ताञ्जनयथ, तथा वो युष्मान् च शान्ता वयं जनयेम यूयं यस्य क्षयाय जिन्वथ तस्मै वयमरंगमाम॥१६॥
पदार्थः
(तस्मै) (अरम्) अलम् (गमाम) प्राप्नुयाम (वः) युष्मान् (यस्य) (क्षयाय) निवासाय (जिन्वथ) प्रीणयथ (आपः) जलानीव (जनयथ) अत्र संहितायाम् [अ॰६.३.११४] इति दीर्घः। (च) (नः) अस्मान्॥१६॥
भावार्थः
अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। स्त्रीपुरुषैः परस्परस्याऽऽनन्दाय जलवत्सरलतया वर्त्तितव्यं शुभाचरणैः परस्परमलंकृतैरेव भवितव्यम्॥१६॥
हिन्दी (1)
विषय
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे स्त्रियो! जैसे तुम लोग (नः) हमको (आपः) जलों के तुल्य शान्त (जनयथ) प्रकट करो, वैसे (वः) तुमको हम लोग शान्त प्रकट करें (च) और तुम लोग (यस्य) जिस पति के (क्षयाय) निवास के लिये (जिन्वथ) उसको तृप्त करो (तस्मै) उस के लिये हम लोग (अरम्) पूर्ण सामर्थ्ययुक्त (गमाम) प्राप्त होवें॥१६॥
भावार्थ
इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। स्त्री-पुरुषों को योग्य है कि परस्पर आनन्द के लिये जल के तुल्य सरलता से वर्तें और शुभ आचरणों के साथ परस्पर सुशोभित ही रहें॥१६॥
मराठी (1)
भावार्थ
या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. स्री-पुरुषांनी परस्पर आनंदासाठी जलाप्रमाणे शांत राहावे व चांगल्या वर्तनाने परस्पर शोभून दिसावे.
इंग्लिश (2)
Meaning
O wives, just as ye make us calm like water, so should we make ye peaceful. As each of ye satisfies her husband for decent living for him, so may we acquire power and wealth for him.
Meaning
Women, cool and blessed like heavenly waters, as you arise for the peace and bliss of the home of the man you love, we would provide for the joy and comfort of him and for you too. And you too create and generate joy and bliss for us.
बंगाली (1)
विषय
পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ- হে স্ত্রীগণ ! যেমন তোমরা (নঃ) আমাদিগকে (আপঃ) জলের তুল্য শান্ত (জনয়থ) প্রকাশ কর, সেইরূপ (বঃ) তোমাদিগকে আমরা শান্ত প্রকাশ করি (চ) এবং তোমরা (য়স্য) যে পতির (ক্ষয়ায়) নিবাস হেতু (জিন্বথ) তাহাকে তৃপ্ত কর (তস্মৈ) তাহার জন্য আমরা (অরম্) পূর্ণ সামর্থ্যযুক্ত (গমাম) প্রাপ্ত হইব ॥ ১৬ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ- এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । স্ত্রী-পুরুষদিগের উচিত যে, পরস্পর আনন্দহেতু জলের সমান সারল্যপূর্বক আচরণ করিবে এবং শুভ আচরণ সহ পরস্পর সুশোভিতই থাকবে ॥ ১৬ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
তস্মা॒ऽ অরং॑ গমাম বো॒ য়স্য॒ ক্ষয়া॑য়॒ জিন্ব॑থ ।
আপো॑ জ॒নয়॑থা চ নঃ ॥ ১৬ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
তস্মা ইত্যস্য সিন্ধুদ্বীপ ঋষিঃ । আপো দেবতাঃ । গায়ত্রী ছন্দঃ ।
ষড্জঃ স্বরঃ ॥
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