यजुर्वेद - अध्याय 36/ मन्त्र 7
ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः
देवता - इन्द्रो देवता
छन्दः - वर्द्धमाना गायत्री
स्वरः - षड्जः
164
कया॒ त्वं न॑ऽ ऊ॒त्याभि प्र म॑न्दसे वृषन्।कया॑ स्तो॒तृभ्य॒ऽ आ भ॑र॥७॥
स्वर सहित पद पाठकया॑। त्वम्। नः॒। ऊ॒त्या। अ॒भि। प्र। म॒न्द॒से॒। वृ॒ष॒न् ॥ कया॑। स्तो॒तृभ्य॒ इति॑ स्तो॒तृऽभ्यः॑। आ। भ॒र॒ ॥७ ॥
स्वर रहित मन्त्र
कया त्वम्नऽऊत्याभि प्र मन्दसे वृषन् । कया स्तोतृभ्य आ भर ॥
स्वर रहित पद पाठ
कया। त्वम्। नः। ऊत्या। अभि। प्र। मन्दसे। वृषन्॥ कया। स्तोतृभ्य इति स्तोतृऽभ्यः। आ। भर॥७॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह॥
अन्वयः
हे वृषन्नीश्वर! त्वं कयोत्या नोऽभिप्रमन्दसे, कया स्तोतृभ्यः सुखमाभर॥७॥
पदार्थः
(कया) (त्वम्) (नः) अस्मान् (ऊत्या) रक्षणाद्यया क्रियया (अभि) (प्र) (मन्दसे) सर्वत्र आनन्दयसि (वृषन्) सुखाभिवर्षक (कया) रीत्या (स्तोतृभ्यः) प्रशंसकेभ्यो मनुष्येभ्यः (आ) (भर)॥७॥
भावार्थः
हे भगवन् परमात्मन्! यया युक्त्या त्वं धार्मिकानानन्दयसि, तान् सर्वतः पालयसि, तां युक्तिमस्मान् बोधय॥७॥
हिन्दी (1)
विषय
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे (वृषन्) सब ओर से सुखों को वर्षानेवाले ईश्वर (त्वम्) आप (कया) किस (ऊत्या) रक्षण आदि क्रिया से (नः) हमको (अभि, प्र, मन्दसे) सब ओर से आनन्दित करते और (कया) किस रीति से (स्तोतृभ्यः) आपकी प्रशंसा करनेवाले मनुष्यों के लिये सुख को (आ, भर) अच्छे प्रकार धारण कीजिये॥७॥
भावार्थ
हे भगवन् परमात्मन्! जिस युक्ति से आप धर्मात्माओं को आनन्दित करते, उनकी सब ओर से रक्षा करते हैं, उस युक्ति को हमको जताइये॥७॥
मराठी (1)
भावार्थ
हे परमेश्वरा ! ज्या रीतीने (युक्तीने) तू धर्मात्म्यांना आनंदी करतोस व त्यांचे सगळ्या प्रकारे रक्षण करतोस ती रीत (युक्ती) आम्हालाही कळू दे.
इंग्लिश (2)
Meaning
O God, the Showerer of joys from all sides, with what aid dost Thou delight us, in what way dost Thou bestow happiness on thy worshippers.
Meaning
Lord of abundant showers, let us know by which ways of protection you save and bless your worshippers with joy, and by which forms of generosity you raise your devotees.
बंगाली (1)
विषय
পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ- হে (বৃষন্) সব দিক দিয়া সুখবর্ষণকারী ঈশ্বর (ত্বম্) আপনি (কয়া) কোন্ (ঊত্যা) রক্ষণাদি ক্রিয়া দ্বারা (নঃ) আমাদেরকে (অভি, প্র, মন্দসে) সব দিক দিয়া আনন্দিত করেন এবং (কয়া) কোন্ রীতি দ্বারা (্তোতৃভ্যঃ) আপনার প্রশংসাকারী মনুষ্যদিগের জন্য সুখকে (আ, ভর) উত্তম প্রকার ধারণ করেন ॥ ৭ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ- হে ভগবন্ পরমাত্মন্ ! যে যুক্তি দ্বারা আপনি ধর্মাত্মাদিগকে আনন্দিত করেন, তাহাদিগকে সব দিক দিয়া রক্ষা করেন, সেই যুক্তি আমাদিগকে বোধ উৎপন্ন করুক ॥ ৭ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
কয়া॒ ত্বং ন॑ऽ ঊ॒ত্যাভি প্র ম॑ন্দসে বৃষন্ ।
কয়া॑ স্তো॒তৃভ্য॒ऽ আ ভ॑র ॥ ৭ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
কয়া ত্বমিত্যস্য দধ্যঙ্ঙাথর্বণ ঋষিঃ । ইন্দ্রো দেবতা । বর্দ্ধমানা গায়ত্রী ছন্দঃ ।
ষড্জ স্বরঃ ॥
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