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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 19
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - एकपदासुरी पङ्क्तिः सूक्तम् - गौ सूक्त

    अ॒ग्निरासी॑न॒ उत्थि॑तो॒ऽश्विना॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒ग्नि: । आसी॑न: । उत्थि॑त: । अ॒श्विना॑ ॥१२.१९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अग्निरासीन उत्थितोऽश्विना ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अग्नि: । आसीन: । उत्थित: । अश्विना ॥१२.१९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 19

    पदार्थ -
    [सृष्टि में वह प्रजापति] (आसीनः) बैठा हुआ (अग्निः) [पार्थिव वा जाठर] अग्नि, (उत्थितः) उठा हुआ वह (अश्विना) सूर्य और चन्द्रमा [के समान है] ॥१९॥

    भावार्थ - जैसे अग्नि और सूर्य और चन्द्रमा अपने-अपने लोकों के लिये उपकारी हैं, वैसे ही परमेश्वर समस्त ब्रह्माण्ड का हितकारी है ॥१९॥

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