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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 21
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - आसुर्यनुष्टुप् सूक्तम् - गौ सूक्त

    प्र॒त्यङ्तिष्ठ॑न्धा॒तोद॒ङ्तिष्ठ॑न्त्सवि॒ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्र॒त्यङ् । तिष्ठ॑न् । धा॒ता । उद॑ङ् । तिष्ठ॑न् । स॒वि॒ता ॥१२.२१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रत्यङ्तिष्ठन्धातोदङ्तिष्ठन्त्सविता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्रत्यङ् । तिष्ठन् । धाता । उदङ् । तिष्ठन् । सविता ॥१२.२१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 21

    पदार्थ -
    [वह परमेश्वर] (प्राङ्) पूर्व वा सन्मुख (तिष्ठन्) ठहरा हुआ (इन्द्रः) परम ऐश्वर्यवान्, (दक्षिणा) दक्षिण वा दाहिनी ओर (तिष्ठन्) ठहरा हुआ (यमः) न्यायकारी (प्रत्यङ्) पश्चिम वा पीछे की ओर (तिष्ठन्) ठहरा हुआ (धाता) धारण करनेवाला और (उदङ्) उत्तर वा बाईं ओर (तिष्ठन्) ठहरा हुआ (सविता) सब का चलानेवाला [है] ॥२०, २१॥

    भावार्थ - वह प्रजापति परमेष्ठी परमेश्वर ही सर्वशक्तिमान्, सर्वनियन्ता और सर्वव्यापक है ॥२०, २१॥

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