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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 8
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - गौ सूक्त

    इ॑न्द्रा॒णी भ॒सद्वा॒युः पुच्छं॒ पव॑मानो॒ बालाः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इ॒न्द्रा॒णी । भ॒सत् । वा॒यु: । पुच्छ॑म् । पव॑मान: । बाला॑: ॥१२.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्राणी भसद्वायुः पुच्छं पवमानो बालाः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्राणी । भसत् । वायु: । पुच्छम् । पवमान: । बाला: ॥१२.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 8

    पदार्थ -
    [सृष्टि में] (इन्द्राणी) इन्द्राणी [इन्द्र की पत्नी, सूर्य की धूप] (भसत्) कटिभाग, (वायुः) वायु (पुच्छम्) प्रसन्नता का साधन [वा पीछे का भाग] (पवमानः) शोधक पदार्थ [अग्नि जल आदि] (बालाः) [बालों अर्थात् केशों के समान आकारवाली] झाड़ुओं [कूर्चियों के समान हैं] ॥८॥

    भावार्थ - मन्त्र ७ के समान है ॥८॥

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