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  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 6/ मन्त्र 8
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - साम्नी पङ्क्ति छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    तमृच॑श्च॒सामा॑नि च॒ यजूं॑षि च॒ ब्रह्म॑ चानु॒व्यचलन् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तम् । ऋच॑: । च॒ । सामा॑नि । च॒ । यजूं॑षि । च॒ । ब्रह्म॑ । च॒ । अ॒नु॒ऽव्य᳡चलन् ॥६.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तमृचश्चसामानि च यजूंषि च ब्रह्म चानुव्यचलन् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तम् । ऋच: । च । सामानि । च । यजूंषि । च । ब्रह्म । च । अनुऽव्यचलन् ॥६.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 6; मन्त्र » 8

    भाषार्थ -
    (तम्, अनु) व्रात्य संन्यासी के साथ साथ या अनुकूल (ऋचः, च) ऋग्वेद के मन्त्र (सामानि, च) और सामवेद के मन्त्र (यजूंषि, च) यजुर्वेद के मन्त्र, (ब्रह्म, च) और ब्रह्म प्रतिपादक अथर्ववेद (वि अचलन्) विशेषतया चले। "ब्रह्म "से अभिप्राय ऋग्वेदादि द्वारा प्रतिपाद्य परमेश्वर भी सम्भव है।

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