अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 18
अ॒भ्रं पीबो॑ म॒ज्जा नि॒धन॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒भ्रम् । पीब॑: । म॒ज्जा । नि॒ऽधन॑म् । १२.१८॥
स्वर रहित मन्त्र
अभ्रं पीबो मज्जा निधनम् ॥
स्वर रहित पद पाठअभ्रम् । पीब: । मज्जा । निऽधनम् । १२.१८॥
अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 18
भाषार्थ -
(अभ्रम्) जल से भरा मेघ है (पीवः) गौ का मोटा शरीर, (मज्जा) मज्जा है (निधनम्) गौ की नलिकास्थियों का अन्तिम सार (marrow), [अभ्रम् = आपः + भृञ्, (भरणे) ]