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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 3
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - आर्च्यनुष्टुप् सूक्तम् - गौ सूक्त

    वि॒द्युज्जि॒ह्वा म॒रुतो॒ दन्ता॑ रे॒वती॑र्ग्री॒वाः कृत्ति॑का स्क॒न्धा घ॒र्मो वहः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि॒द्युत् । जि॒ह्वा । म॒रुत॑: । दन्ता॑: । रे॒वती॑: । ग्री॒वा: । कृत्ति॑का: । स्क॒न्धा: । घ॒र्म: । वह॑: ॥१२.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विद्युज्जिह्वा मरुतो दन्ता रेवतीर्ग्रीवाः कृत्तिका स्कन्धा घर्मो वहः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विद्युत् । जिह्वा । मरुत: । दन्ता: । रेवती: । ग्रीवा: । कृत्तिका: । स्कन्धा: । घर्म: । वह: ॥१२.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 3

    भाषार्थ -
    (विद्युत्१) कड़कड़ाती हुई विद्युत् (जिह्वा) जिह्वा है, (मरुतः) मरुत् [बहुवचने] (दन्ताः) दान्त हैं, (रेवतीः) रेवती नक्षत्र तारा (ग्रीवाः) गर्दन की अस्थियां हैं, (कृत्तिकाः) कृत्तिका-तारे (स्कन्धः) कन्धे की अस्थियां हैं, (घर्मः) ग्रीष्मारम्भ (वहः) बैल का वह स्थान है जिस पर शकट का जुआ (yoke) रखा जाता है।

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