अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 25
ए॒तद्वै वि॒श्वरू॑पं॒ सर्व॑रूपं गोरू॒पम् ॥
स्वर सहित पद पाठए॒तत् । वै । वि॒श्वऽरू॑पम् । सर्व॑ऽरूपम् । गो॒ऽरू॒पम् ॥१२.२५॥
स्वर रहित मन्त्र
एतद्वै विश्वरूपं सर्वरूपं गोरूपम् ॥
स्वर रहित पद पाठएतत् । वै । विश्वऽरूपम् । सर्वऽरूपम् । गोऽरूपम् ॥१२.२५॥
अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 25
भाषार्थ -
(एतद्) यह दृश्यमान् ब्रह्माण्ड (वै) निश्चय से (विश्वरूपम्) विश्वरूप है, (सर्वरूपम्) सर्वरूप है (मन्त्र २४), (गोरूपम्) गोरूप है।