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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 11
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - गौ सूक्त

    चेतो॒ हृद॑यं॒ यकृ॑न्मे॒धा व्र॒तं पु॑री॒तत् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    चेत॑: । हृद॑यम् । यकृ॑त् । मे॒धा । व्र॒तम् । पु॒रि॒ऽतत् ॥१२.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    चेतो हृदयं यकृन्मेधा व्रतं पुरीतत् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    चेत: । हृदयम् । यकृत् । मेधा । व्रतम् । पुरिऽतत् ॥१२.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 11

    भाषार्थ -
    (चेतः) चित्त है (हृदयम्) गौ का हृदय, (मेधा)१ आशु ग्रहणशक्ति है (यकृत्) जिगर [liver], (व्रतम्) व्रत है (पुरीतत्) शरीर में विस्तृत आन्तें।

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