अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 22
तृणा॑नि॒ प्राप्तः॒ सोमो॒ राजा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठतृणा॑नि । प्रऽआ॑प्त: । सोम॑: । राजा॑ ॥१२.२२॥
स्वर रहित मन्त्र
तृणानि प्राप्तः सोमो राजा ॥
स्वर रहित पद पाठतृणानि । प्रऽआप्त: । सोम: । राजा ॥१२.२२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 22
भाषार्थ -
(सोमः राजा) सोम राजा है [बैल], जब कि वह [चारे के लिये] घास आदि तृणों को प्राप्त होता है।
टिप्पणी -
[सोम है महौषध। अतः यह वीरुधों का अधिपति है। यथा "सोमो वीरुधामधिपतिः” (अथर्व० ५।२४।७)। सोम अन्य तृणरूप-वीरुधों में प्राप्त रहता है। अतः इसे बैलरूप में वर्णित किया है जब कि बैल घास आदि के तृणों के खाने के लिये तृणों को प्राप्त होता है।]