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  • यजुर्वेद - अध्याय 28/ मन्त्र 30
    ऋषिः - सरस्वत्यृषिः देवता - अश्विनौ देवते छन्दः - भुरिक् शक्वरी स्वरः - धैवतः
    6

    होता॑ यक्ष॒त्प्रचे॑तसा दे॒वाना॑मुत्त॒मं यशो॒ होता॑रा॒ दैव्या॑ क॒वी स॒युजेन्द्रं॑ वयो॒धस॑म्। जग॑तीं॒ छन्द॑ऽ इन्द्रि॒यम॑न॒ड्वाहं॒ गां वयो॒ दध॑द् वी॒तामाज्य॑स्य॒ होत॒र्यज॑॥३०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    होता॑। य॒क्ष॒त्। प्रचे॑त॒सेति॒ प्रऽचे॑तसा। दे॒वाना॑म्। उ॒त्त॒ममित्यु॑त्ऽत॒मम्। यशः॑। होता॑रा। दैव्या॑। क॒वीऽऽइति॑ क॒वी। स॒युजेति॑ स॒ऽयुजा॑। इन्द्र॑म्। व॒यो॒धस॒मिति॑ वयः॒ऽधस॑म्। जग॑तीम्। छन्दः॑। इ॒न्द्रि॒यम्। अ॒न॒ड्वाह॑म्। गाम्। वयः॑। दध॑त्। वी॒ताम्। आज्य॑स्य। होतः॑। यज॑ ॥३० ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    होता यक्षत्प्रचेतसा देवानामुत्तमँ यशो होतारा दैव्या कवी सयुजेन्द्रँ वयोधसम् । जगतीञ्छन्दऽइन्द्रियमनड्वाहंङ्गाँवयो दधद्वीतामाज्यस्य होतर्यज ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    होता। यक्षत्। प्रचेतसेति प्रऽचेतसा। देवानाम्। उत्तममित्युत्ऽतमम्। यशः। होतारा। दैव्या। कवीऽऽइति कवी। सयुजेति सऽयुजा। इन्द्रम्। वयोधसमिति वयःऽधसम्। जगतीम्। छन्दः। इन्द्रियम्। अनड्वाहम्। गाम्। वयः। दधत्। वीताम्। आज्यस्य। होतः। यज॥३०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 28; मन्त्र » 30
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–হে (হোতঃ) দানদাতা পুরুষ! তুমি যেমন (দেবানাম্) বিদ্বান্ সম্পর্কীয় (প্রচেতসা) উৎকৃষ্ট বিজ্ঞান যুক্ত (সয়ুজা) সঙ্গে যোগ রক্ষাকারী (দৈব্যা) উত্তম কর্ম্মে সাধু (হোতারা) দাতা (কবী) বুদ্ধিমান পঠন-পাঠন অথবা শ্রবণ-শ্রাবণকারী (উত্তমম্) উত্তম (য়শঃ) কীর্ত্তি (বয়োধসম্) অভীষ্ট সুখের ধারক (ইন্দ্রম্) উত্তম ঐশ্বর্য্য (জগতীম, ছন্দঃ) জগতী ছন্দ (বয়ঃ) বিজ্ঞান (ইন্দ্রিয়ম্) ধন এবং (অনড্বাহম্) গাড়ী চালক (গাম্) বৃষকে (বীতাম্) প্রাপ্ত হউক যেমন (আজ্যস্য) জানিবার যোগ্য পদার্থ মধ্যে এই উক্ত সকলের (দধৎ) ধারণ করিয়া (হোতা) গ্রহণ কর্ত্তা ব্যক্তি (য়ক্ষৎ) প্রাপ্ত হইবে, সেইরূপ (য়জ) প্রাপ্ত হউন ॥ ৩০ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । যদি মনুষ্য পুরুষকার করে তাহলে বিদ্যা ও ধনের প্রাপ্তি হইয়া মাননীয় হইবে ॥ ৩০ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - হোতা॑ য়ক্ষ॒ৎপ্রচে॑তসা দে॒বানা॑মুত্ত॒মং য়শো॒ হোতা॑রা॒ দৈব্যা॑ ক॒বী স॒য়ুজেন্দ্রং॑ বয়ো॒ধস॑ম্ । জগ॑তীং॒ ছন্দ॑ऽ ইন্দ্রি॒য়ম॑ন॒ড্বাহং॒ গাং বয়ো॒ দধ॑দ্ বী॒তামাজ্য॑স্য॒ হোত॒র্য়জ॑ ॥ ৩০ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - হোতেত্যস্য সরস্বতৃ্যষিঃ । অশ্বিনৌ দেবতে । ভুরিক্ছক্বরী ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

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