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  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 37
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - आसुर्यनुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    अव॑र्तिर॒श्यमा॑ना॒ निरृ॑तिरशि॒ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अव॑र्ति: । अ॒श्यमा॑ना । नि:ऽऋ॑ति: । अ॒शि॒ता॥८.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अवर्तिरश्यमाना निरृतिरशिता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अवर्ति: । अश्यमाना । नि:ऽऋति: । अशिता॥८.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 37

    टिप्पणीः - ३७−(अवर्तिः) अ० ९।२।३। निर्जीविका (अश्यमाना) भक्ष्यमाणा (निर्ऋतिः) अ० ३।११।२। कृच्छ्रापत्तिः−निरु० २।७। (अशिता) भक्षिता ॥

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