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  • यजुर्वेद - अध्याय 7/ मन्त्र 29
    ऋषिः - देवश्रवा ऋषिः देवता - प्रजापतिर्देवता छन्दः - आर्ची पङ्क्ति,भूरिक् साम्नी पङ्क्ति, स्वरः - पञ्चमः
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    को॑ऽसि कत॒मोऽसि॒ कस्या॑सि॒ को नामा॑सि। यस्य॑ ते॒ नामाम॑न्महि॒ यं त्वा॒ सोमे॒नाती॑तृपाम। भूर्भुवः॒ स्वः सुप्र॒जाः प्र॒जाभिः॑ स्या सु॒वीरो॑ वी॒रैः सु॒पोषः॒ पोषैः॑॥२९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः। अ॒सि॒। क॒त॒मः। अ॒सि॒। कस्य॑। अ॒सि॒। कः। नाम॑। अ॒सि॒। यस्य॑। ते॒। नाम॑। अम॑न्महि। यम्। त्वा॒। सोमे॑न। अती॑तृपाम। भूरिति॒ भूः। भुव॒रिति॑ भु॒वः। स्व॒रिति॒ स्वः॑। सु॒प्र॒जा इति॑ सुऽप्र॒जाः। प्र॒जाभि॒रिति॑ प्र॒ऽजाभिः॑। स्या॒म्। सु॒वीर॒ इति॑ सु॒ऽवीरः॑। वी॒रैः। सु॒पोष॒ इति॑ सु॒ऽपोषः॑। पोषैः॑ ॥२९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    को सि कतमोसि कस्यासि को नामासि । यस्य ते नामामन्महि यन्त्वा सोमेनातीतृपाम । भूर्भुवः स्वः सुप्रजाः प्रजाभिः स्याँ सुवीरो वीरैः सुपोषः पोषैः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कः। असि। कतमः। असि। कस्य। असि। कः। नाम। असि। यस्य। ते। नाम। अमन्महि। यम्। त्वा। सोमेन। अतीतृपाम। भूरिति भूः। भुवरिति भुवः। स्वरिति स्वः। सुप्रजा इति सुऽप्रजाः। प्रजाभिरिति प्रऽजाभिः। स्याम्। सुवीर इति सुऽवीरः। वीरैः। सुपोष इति सुऽपोषः। पोषैः॥२९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 7; मन्त्र » 29
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    भावार्थ -

    राजा नियुक्र अधिकारी का और अधिकारी लोग राजा का परस्पर परिचय प्राप्त करें। हे राजन् ! तू ( कः असि ) कौन है ? और ( कतमः ) अपने वर्ग में से कौनसा ( असि ) है ? ( कस्य असि ) किस पिता का पुत्र है । ( कः नाम असि ) तेरा शुभ नाम क्या है । ( यस्य ते ) जिस तेरा ( नाम ) शुभ नाम ( अमन्महि ) हम जानें (यं ) जिस ( त्वा) तुझको ( सोमेन ) सर्वप्रेरक राजपद प्रदान करके ( अतीतृपाम ) हम तुझे तृप्त, सन्तुष्ट करते हैं । 
    इसी प्रकार राजा भी प्रत्येक अधिकारी का परिचय करे। तू कौन है ? किस वर्ग का है ? किसका पुत्र है ? नाम क्या है ? जिस का वह राजा नाम जाने और जिसको ( सोमेन ) राज की ओर से दिये जाने वाले धन द्वारा वह तृप्त करे। मैं राजा ( भूः ) भूमि, (भुवः ) अन्तरिक्ष (स्वः ) सर्वप्रेरक सूर्य तीनों के ऐश्वर्य से युक्त होकर ( प्रजामिः ) इन प्रजाओं से ( सु-प्रजाः) उत्तम प्रजा से सम्पन्न ( स्याम् ) होऊं । ( वीरैः ) इन वीर पुरुषों द्वारा मैं ( सुवीरः) उत्तम वीर होऊं । ( पौषैः ) इन पोषक ऐश्वर्यवान् पुरुषों से मिलकर मैं ( सुपोष ) राष्ट्र का उत्तम पोषक, समृद्धिवान् हो जाऊं । उव्वट और महीधर के मत से ( कः ) प्रजापति है । 

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर -

    प्रजापतिदेवता । ( १ ) आर्ची पंक्ति: । (२) भुरीक् साम्नी पंक्तिः । पञ्चमः ॥ 

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