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  • यजुर्वेद - अध्याय 7/ मन्त्र 9
    ऋषिः - गृत्समद ऋषिः देवता - मित्रावरुणौ देवते छन्दः - आर्षी गायत्री,आसुरी गायत्री स्वरः - षड्जः
    1

    अ॒यं वां॑ मित्रावरुणा सु॒तः सोम॑ऽऋतावृधा। ममेदि॒ह श्रु॑त॒ꣳ हव॑म्। उ॒प॒या॒मगृ॑हीतोऽसि मि॒त्रावरु॑णाभ्यां त्वा॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒यम्। वाम्। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। सु॒तः। सोमः॑। ऋ॒ता॒वृ॒धेत्यृ॑तऽवृधा। मम॑। इत्। इ॒ह। श्रु॒त॒म्। हव॑म्। उ॒प॒या॒मगृ॑हीत॒ इत्यु॑पया॒मऽगृ॑हीतः। अ॒सि॒। मि॒त्रावरु॑णाभ्याम्। त्वा॒ ॥९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अयँवाम्मित्रावरुणा सुतः सोमऽऋतावृधा । ममेदिह श्रुतँ हवम् । उपयामगृहीतोसि मित्रावरुणाभ्यां त्वा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अयम्। वाम्। मित्रावरुणा। सुतः। सोमः। ऋतावृधेत्यृतऽवृधा। मम। इत्। इह। श्रुतम्। हवम्। उपयामगृहीत इत्युपयामऽगृहीतः। असि। मित्रावरुणाभ्याम्। त्वा॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 7; मन्त्र » 9
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    भावार्थ -

     मित्र और वरुण पदाधिकारियों का वर्णन करते हैं । हे (ऋतावृधा ) ऋत सत्य व्यवस्था को बढ़ानेवाले या सत्यधर्म की व्यवस्था से स्वयं बढ़ने वाले ( मित्रावरुणा ) मित्र सबसे स्नेह करनेवाले ब्राह्मण गण और ( वरुण ) वरुण, सब दुष्टों के वारण करनेवाले क्षत्रिय (अयं सोमः ) यह सोम सर्व प्रेरकरूप से राजा ( सुतः ) बनाया गया है । ( इह ) इस अवसर पर ( मम इत् ) मेरे ही ( हवम् ) आज्ञा या अभ्यर्थना का ( श्रुतम् ) श्रवण करो। हे राजन् ! (त्वा ) तुझे मित्रावरुणाभ्याम् ) मित्र और वरुण पद के भी वश करने के लिये उन पर शासक रूप से नियुक्त करता हूं । 
    अध्यापक और अध्येता के पक्ष में वे दोनों ऋत=ज्ञान को बढ़ाने वाले हैं। उनका सोम, योगैश्वर्य है । वे दोनों मित्र और वरुण है। शिष्य मित्र के समान हैं, आचार्य उसको पाप से निवारक होने से वरुण हैं । अथवा आचार्य सुहृत् है और छात्र गुणदोषवारक होने से वरुण है ! अध्यात्म में ज्ञान और बल दोनों मित्र और वरुण हैं। क्रतुदक्षौ ह वा अस्य मित्रावरुणौ 

    एतम्वध्यात्मं स यदेव मनसा कामयते इदं मे स्यादिदं मे कुर्वीय इति स एव ऋतुरथ यदस्मै तत्समृद्धते स दक्षः । मित्र एव क्रतुर्वरुणो दक्षः । ब्रह्मैव मित्रः क्षत्रं वरुणः । अभिगन्ता एव ब्रह्म कर्त्ता तत्रियः । इत्यादि । शत० 
    ४ । १।४।१- ७ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर -

    मृत्समद ऋषिः। मित्रावरुणौ देवते । ( १ ) आर्षी गायत्री : ( २ ) आसुरी  
    गायत्री | षड्जः ॥ 
     

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