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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 2 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 12
    ऋषिः - नारायणः देवता - ब्रह्मप्रकाशनम्, पुरुषः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मप्रकाशन सूक्त
    72

    को अ॑स्मिन्रू॒पम॑दधा॒त्को म॒ह्मानं॑ च॒ नाम॑ च। गा॒तुं को अ॑स्मि॒न्कः के॒तुं कश्च॒रित्रा॑णि॒ पूरु॑षे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क: । अ॒स्मि॒न् । रू॒पम् । अ॒द॒धा॒त् । क: । म॒ह्यान॑म् । च॒ । नाम॑ । च॒ । गा॒तुम् । क: । अ॒स्मि॒न् । क: । के॒तुम् । क: । च॒रित्रा॑णि । पुरु॑षे ॥२.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    को अस्मिन्रूपमदधात्को मह्मानं च नाम च। गातुं को अस्मिन्कः केतुं कश्चरित्राणि पूरुषे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क: । अस्मिन् । रूपम् । अदधात् । क: । मह्यानम् । च । नाम । च । गातुम् । क: । अस्मिन् । क: । केतुम् । क: । चरित्राणि । पुरुषे ॥२.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 2; मन्त्र » 12
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    हिन्दी (4)

    विषय

    मनुष्यशरीर की महिमा का उपदेश।

    पदार्थ

    (कः) कर्ता [परमेश्वर] ने (अस्मिन्) इस [मनुष्य] में (रूपम्) रूप, (कः) कर्ता ने (मह्मानम्) महत्त्व (च) और (नाम) नाम (च) भी (अदधात्) रक्खा है, (कः) कर्ता ने (अस्मिन्) इस (पुरुषे) मनुष्य में (गातुम्) गति [प्रवृत्ति], (कः) कर्ता ने (केतुम्) विज्ञान (च) और (चरित्राणि) अनेक आचरणों को [रक्खा है] ॥१२॥

    भावार्थ

    परमात्मा ने अपनी न्यायव्यवस्था से मनुष्य में पराक्रम करने के लिये अनेक शक्तियाँ दी हैं ॥१२॥

    टिप्पणी

    १२−(कः) म० ५। कर्ता वेधाः (मह्मानम्) म० ६। महत्त्वम् (गातुम्) गतिम्। प्रवृत्तिम् (केतुम्) विज्ञानम् (चरित्राणि) आचरणानि (पुरुषे) मनुष्ये। अन्यत् सरलम् ॥

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    विषय

    रूपं चरित्रं

    पदार्थ

    १. (क:) = कौन (अस्मिन् पूरुषे) = इस पुरुष में (रूपं अदधात्) = रूप को स्थापित करता है? (च) = और (क:) = कौन (मह्मानं नाम च) = महिमा और नाम को स्थापित करनेवाला है? (क:) = कौन (अस्मिन्) = इस पुरुष में (गातुम्) = गीत को, शब्द को स्थापित करता है? (कः केतुम्) = कौन ज्ञान को, (कः च) = और कौन (चरित्राणि) = आचरणों को स्थापित करता है?

    भावार्थ

    पुरुष में 'रूप, महिमा, नाम, शब्द, ज्ञान व चरित्रों का स्थापन कौन करता है?

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    भाषार्थ

    (कः) किस ने (अस्मिन् पूरुषे) इस पुरुष में (रूपम्) रूप को (अदघात्) स्थापित किया, (कः) किस ने (मह्मानम् च) महत्त्व को, (नाम च) और नाम को। (कः) किसने (अस्मिन्) इस में (गातुम्) गति को या गान को, (कः) किस ने (केतुम्) प्रज्ञा को तथा (कः) किसने (चरित्राणि) अच्छे और बुरे चरित्रों को (पुरुषे) इस पुरुष में स्थापित किया है।

    टिप्पणी

    [नाम = “पुरुष” यह संज्ञा; या प्रसिद्धि। कः = द्वथर्थक (मन्त्र ११)]

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    विषय

    पुरुष देह की रचना और उसके कर्त्ता पर विचार।

    भावार्थ

    (अस्मिन् पूरुषे) इस पुरुष-देह में (कः) कौन (रूपम्) रूप को धारण करता है, (मह्मानं) महत्व या महिमा और (नाम च) नाम को (कः) कौन उत्पन्न करता है (अस्मिन्) इस पुरुष में (गातुं कः) गातु=गति चेष्टा को कौन स्थापित करता है (केतुं कः) आत्मा के ज्ञापक चिह्न या ज्ञान या ज्ञान सामर्थ्य को कौन देता है और (चरित्राणि कः) नाना प्रकार के सत् और असत् चरित्रों, इन्द्रियों के व्यापारों और प्रवृत्तियों को कौन स्थापित करता है।

    टिप्पणी

    (च०) ‘पौरुषे’ इति पैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    नारायण ऋषिः। पुरुषो देवता। पार्ष्णी सूक्तम्। ब्रह्मप्रकाशिसूक्तम्। १-४, ७, ८, त्रिष्टुभः, ६, ११ जगत्यौ, २८ भुरिगवृहती, ५, ४, १०, १२-२७, २९-३३ अनुष्टुभः, ३१, ३२ इति साक्षात् परब्रह्मप्रकाशिन्यावृचौ। त्रयस्त्रिंशदृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Kena Suktam

    Meaning

    Who vested in this human being form, name, fame, motion and progress? Who in-vested eminence and identity, and all the varieties of character, action and behaviour in man?

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    Translation

    Who placed beauty in him, who the dignity and who the fame ? Who set motion in him, who the consciousness, and who the behaviors in man ?

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    Translation

    Who does give him visible form and shape? Who does provide him with magnitude and splendor? Who does give in man, the mition consciousness and organic functiods? Who does furnish him foot.

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    Translation

    God gave man visible form and shape. God gave him majesty and renown. God gave him knowledge and different modes of conduct.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १२−(कः) म० ५। कर्ता वेधाः (मह्मानम्) म० ६। महत्त्वम् (गातुम्) गतिम्। प्रवृत्तिम् (केतुम्) विज्ञानम् (चरित्राणि) आचरणानि (पुरुषे) मनुष्ये। अन्यत् सरलम् ॥

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