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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 3 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 12
    ऋषिः - भृग्वङ्गिराः देवता - शाला छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शाला सूक्त
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    नम॒स्तस्मै॒ नमो॑ दा॒त्रे शाला॑पतये च कृण्मः। नमो॒ऽग्नये॑ प्र॒चर॑ते॒ पुरु॑षाय च ते॒ नमः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नम॑: । तस्मै॑ । नम॑: । दा॒त्रे । शाला॑ऽपतये । च॒ । कृ॒ण्म॒: । नम॑: । अ॒ग्नये॑ । प्र॒ऽचर॑ते । पुरु॑षाय । च॒ । ते॒ । नम॑: ॥३.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नमस्तस्मै नमो दात्रे शालापतये च कृण्मः। नमोऽग्नये प्रचरते पुरुषाय च ते नमः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नम: । तस्मै । नम: । दात्रे । शालाऽपतये । च । कृण्म: । नम: । अग्नये । प्रऽचरते । पुरुषाय । च । ते । नम: ॥३.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 3; मन्त्र » 12
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    शाला बनाने की विधि का उपदेश।[इस सूक्त का मिलान अथर्व काण्ड ३ सूक्त १२ से करो]

    पदार्थ

    (तस्मै) उस (नमो दात्रे) अन्न देनेवाले (च) और (शालापतये) शाला के स्वामी को (नमः) सत्कार (कृण्मः) हम करते हैं। (अग्नये) अग्नि [की सिद्धि] को (नमः) अन्न (च) और (प्रचरते) सेवा करनेवाले (पुरुषाय) पुरुष के लिये (ते) तेरे हित के लिये (नमः) अन्न होवे ॥१—२॥

    भावार्थ

    मनुष्य अन्न आदि के दाता गृहस्थों का आदर करते रहें और यज्ञ आदि के करने और पुरुषों के पोषण के लिये घर में अन्न आदि पदार्थ उपस्थित रहें ॥१—२॥

    टिप्पणी

    १२−(नमः) सत्कारम् (तस्मै) (नमः) अन्नम्-निघ० २।७। (दात्रे) ददातेस्तृन्। दत्तवते (शालापतये) गृहस्वामिने (च) (कृण्मः) कुर्मः (नमः) अन्नम् (अग्नये) यज्ञादिष्वग्निसिद्धये (प्रचरते) सेवमानाय (च) (ते) तुभ्यम् ॥

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    विषय

    घर में नियमित अग्निहोत्र

    पदार्थ

    १. (तस्मै) = गतमन्त्र में वर्णित उत्तम सन्तान का निर्माण करनेवाले प्रजापति के लिए (नमः) = नमस्कार करते हैं। (दात्रे नमः) = दानशील पुरुष के लिए नमस्कार करते हैं (च) = और (शालापतये) = घर का रक्षण करनेवाले के लिए (नमः कृण्मः) = नमस्कार करते हैं और (ते) = तुझे (अग्नये प्रचरते पुरुषाय) = अग्नि की सेवा करनेवाले-नियमित रूप से अग्निहोत्र करनेवाले पुरुष के लिए (नमः) = नमस्कार करते हैं|

    भावार्थ

    गृहस्थ को चाहिए कि घर में सन्तानों को उत्तम बनाने का प्रयल करे, दानशील हो, गृहरक्षण का ध्यान करे तथा घर में अग्निहोत्र के नियम को छिन्न न होने दे।

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    भाषार्थ

    (तस्मै) उसके लिये (नमः) अन्न प्रदान करते हैं, (च) और (दात्रे) देने वाले (शालापतये) शाला के स्वामी के लिये (नमः कृण्मः) हम अन्न प्रदान करते हैं। (अग्नये) गृह्य अग्नि के लिये (नमः) अन्न प्रदान करते हैं (ते) हे शाला ! तेरे (प्रचरते) तथा प्रत्येक चलते-फिरते (पुरुषाय) पुरुष के लिये (नमः) अन्न प्रदान करते हैं।

    टिप्पणी

    [तस्मै=जिस को शाला समर्पित करनी है। अग्नये= भोजन काल में पाकाग्नि के लिये बलिवैश्वदेव यज्ञ के निमित्त अन्नाहुतियां। प्रचरते= शाला निवासी प्रत्येक चलते-फिरते (भृत्य आदि) पुरुष के लिये भी अन्न प्रदान हो ! भोजन के काल में अन्न प्रदान का वर्णन हुआ है]

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    विषय

    शाला, महाभवन का निर्माण और प्रतिष्ठा।

    भावार्थ

    हम (दात्रे तस्मै नमः कृण्मः) शाला को पत्थर ईंट काट काट कर गढ़ने वाले शिल्पी को नमस्कार करते हैं, (शालापतये च नमः कृण्मः) और शाला स्वामी को भी हम नमस्कार, उचित के आदर करते हैं। और (अग्नये प्रचरते नमः) अग्नि लेकर उससे संस्कार करने हारे विद्वान् को भी हम नमस्कार करते हैं। और (ते पुरुषाय नमः) तेरे भीतर रहने वाले पुरुषों को भी नमस्कार करते हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    भृग्वङ्गिरा ऋषिः। शाला देवता। १, ५ , ८, १४, १६, १८, २०, २२, २४ अनुष्टुभः। ६ पथ्यापंक्तिः। ७ परा उष्णिक्। १५ त्र्यवसाना पञ्चपदातिशक्वरी। १७ प्रस्तारपंक्तिः। २१ आस्तारपंक्तिः। २५, ३१ त्रिपादौ प्रजापत्ये बृहत्यौ। २६ साम्नी त्रिष्टुप्। २७, २८, २९ प्रतिष्ठा नाम गायत्र्यः। २५, ३१ एकावसानाः एकत्रिंशदृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    The Good House

    Meaning

    Sweet home, homage and salutations to him who made you, to him who gave whatever was needed, and we do homage to the master of the home. Honour and homage to Agni, holy light and sacred fire of the house. Honour and salutations to every person that did the service and who would do the service and hospitality to the visitors. And honour, love and salutations to you.

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    Translation

    Our homage be to him; homage be to the liberal donor, we pay homage to the lord of the mansion; our homage be to the fire and homage be to the man, who looks you after.

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    Translation

    We pay our homage to him who gives the house as a gift, we pay our homage to him who is the master of a house, we pay our respect to him who enkindles the yajna fire (in the house) and we pay our due respect to him who resides in this house.

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    Translation

    We pay homage to the man who has chiselled stones, carved wood. We bow to the mansion’s lord. We revere the learned person who performs cere¬ monies with fire in the house. We honor the inmates of the house.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १२−(नमः) सत्कारम् (तस्मै) (नमः) अन्नम्-निघ० २।७। (दात्रे) ददातेस्तृन्। दत्तवते (शालापतये) गृहस्वामिने (च) (कृण्मः) कुर्मः (नमः) अन्नम् (अग्नये) यज्ञादिष्वग्निसिद्धये (प्रचरते) सेवमानाय (च) (ते) तुभ्यम् ॥

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