अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 30
सूक्त - भृग्वङ्गिराः
देवता - शाला
छन्दः - एकावसाना त्रिपदा प्रतिष्ठा गायत्री
सूक्तम् - शाला सूक्त
27
ऊ॒र्ध्वाया॑ दि॒शः शाला॑या॒ नमो॑ महि॒म्ने स्वाहा॑ दे॒वेभ्यः॑ स्वा॒ह्येभ्यः ॥
स्वर सहित पद पाठऊ॒र्ध्वाया॑: । दि॒श: शाला॑या: । नम॑: । म॒हि॒म्ने । स्वाहा॑ । दे॒वेभ्य॑: । स्वा॒ह्ये᳡भ्य: ॥३.३०॥
स्वर रहित मन्त्र
ऊर्ध्वाया दिशः शालाया नमो महिम्ने स्वाहा देवेभ्यः स्वाह्येभ्यः ॥
स्वर रहित पद पाठऊर्ध्वाया: । दिश: शालाया: । नम: । महिम्ने । स्वाहा । देवेभ्य: । स्वाह्येभ्य: ॥३.३०॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
शाला बनाने की विधि का उपदेश।[इस सूक्त का मिलान अथर्व काण्ड ३ सूक्त १२ से करो]
पदार्थ
(ऊर्ध्वायाः दिशः) ऊपरवाली दिशा से.... म० २५ ॥३०॥
भावार्थ
मनुष्यों को योग्य है कि पूर्वादि सब दिशाओं से पुष्कल अन्न आदि पदार्थ संग्रह करके शाला में रक्खें, जिस में विद्वान् लोग वेदों का विचार करते रहें ॥२५-३१॥
टिप्पणी
३०−(ऊर्ध्वायाः) अ० ३।२६।६ उपरिवर्तमानायाः सकाशात्... ॥
इंग्लिश (1)
Subject
The Good House
Meaning
Honour and homage to the grandeur of the direction above of the home and to the divinities and these nobilities in truth of word and deed.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३०−(ऊर्ध्वायाः) अ० ३।२६।६ उपरिवर्तमानायाः सकाशात्... ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal