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  • अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 3/ मन्त्र 12
    सूक्त - अथर्वा देवता - बार्हस्पत्यौदनः छन्दः - याजुषी जगती सूक्तम् - ओदन सूक्त

    सीताः॒ पर्श॑वः॒ सिक॑ता॒ ऊब॑ध्यम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सीता॑: । पर्श॑व: । सिक॑ता: । ऊब॑ध्यम् ॥३.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सीताः पर्शवः सिकता ऊबध्यम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सीता: । पर्शव: । सिकता: । ऊबध्यम् ॥३.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 3; मन्त्र » 12

    पदार्थ -
    (सीताः) जोतने की रेखाएँ (पर्शवः) [उसकी पसलियाँ] और (सिकताः) बालू (ऊबध्यम्) [उसके] कुपचे अन्न [समान] है ॥१२॥

    भावार्थ - ईश्वर प्रत्येक परमाणु में व्यापक है ॥१२॥

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