यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 30
ऋषिः - कुत्स ऋषिः
देवता - रुद्रा देवताः
छन्दः - विराडार्षी त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
0
नमो॑ ह्र॒स्वाय॑ च वाम॒नाय॑ च॒ नमो॑ बृह॒ते च॒ वर्षी॑यसे च॒ नमो॑ वृ॒द्धाय॑ च स॒वृधे॑ च॒ नमोऽग्र्या॑य च प्रथ॒माय॑ च॥३०॥
स्वर सहित पद पाठनमः॑। ह्र॒स्वाय॑। च॒। वा॒म॒नाय॑। च॒। नमः॑। बृ॒ह॒ते। च॒। वर्षी॑यसे। च॒। नमः॑। वृ॒द्धाय॑। च॒। स॒वृध॒ इति॑ स॒ऽवृधे॑। च॒। नमः॑। अग्र्या॑य। च॒। प्र॒थ॒माय॑। च॒ ॥३० ॥
स्वर रहित मन्त्र
नमो ह्रस्वाय च वामनाय च नमो बृहते च वर्षीयसे च नमो वृद्धाय च सवृधे च नमो र्ग्याय च प्रथमाय च नम आशवे ॥
स्वर रहित पद पाठ
नमः। ह्रस्वाय। च। वामनाय। च। नमः। बृहते। च। वर्षीयसे। च। नमः। वृद्धाय। च। सवृध इति सऽवृधे। च। नमः। अग्र्याय। च। प्रथमाय। च॥३०॥
विषय - नाना रुद्रों अधिकारियों का वर्णन ।
भावार्थ -
( हस्वाय च ) आयु में छोटे, ( वामनाय च ) शरीर के कद में छोटे अथवा रूप आदि गुणों में सुन्दर ( बृहते च ) शरीर में बड़े, और ( वर्षीय से) आयु में बड़े, (वृद्धाय च ) पद में बड़े, (सवृधे च) समान वयस् के मित्रों में बड़े, (अन्याय च ) या अधिकार में बढ़े और (प्रथमाय च ) योग्यता में बड़े, इन सब के लिये ( नमः नमः ) उचित आदर और पद प्राप्त हो ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - विराडार्षी त्रिष्टुप् । धैवतः ॥
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal