यजुर्वेद - अध्याय 13/ मन्त्र 11
ऋषिः - वामदेव ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
0
प्रति॒ स्पशो॒ विसृ॑ज॒ तूर्णि॑तमो॒ भवा॑ पा॒युर्वि॒शोऽ अ॒स्या अद॑ब्धः। यो नो॑ दू॒रेऽ अ॒घश॑ꣳसो॒ योऽ अन्त्यग्ने॒ माकि॑ष्टे॒ व्यथि॒राद॑धर्षीत्॥११॥
स्वर सहित पद पाठप्रति॑। स्पशः॑। वि। सृ॒ज॒। तूर्णि॑तम॒ इति॒ तूर्णि॑ऽतमः। भव॑। पा॒युः। वि॒शः। अ॒स्याः। अद॑ब्धः। यः। नः॒। दू॒रे। अ॒घश॑ꣳस॒ इत्य॒घऽश॑ꣳसः। यः। अन्ति॑। अग्ने॑। माकिः॑। ते॒। व्यथिः॑। आ। द॒ध॒र्षी॒त् ॥११ ॥
स्वर रहित मन्त्र
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायुर्विशो अस्याऽअदब्धः । योनो दूरेऽअघशँसो योऽअन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरादधर्षीत् ॥
स्वर रहित पद पाठ
प्रति। स्पशः। वि। सृज। तूर्णितम इति तूर्णिऽतमः। भव। पायुः। विशः। अस्याः। अदब्धः। यः। नः। दूरे। अघशꣳस इत्यघऽशꣳसः। यः। अन्ति। अग्ने। माकिः। ते। व्यथिः। आ। दधर्षीत्॥११॥
विषय - प्रजा-रक्षण, शत्रु संहार
पदार्थ -
१. जैसे वामदेव ने अध्यात्मक्षेत्र में कामादि शत्रुओं का संहार करना है, उसी प्रकार राजा ने आधिभौतिक क्षेत्र में राष्ट्र के शत्रुओं का संहार करना है। उसके लिए कहते हैं कि (स्पशः) = गुप्तचरों को (प्रतिविसृज) = प्रत्येक दिशा में भेज। प्रजा के गुण-दोषों के परिज्ञान के लिए ये गुप्तचर ही राजा की आँख होते हैं । २. (तूर्णितमः भव) = तू अपने कार्यों को (त्वरा) = से करनेवाला हो। आलस्य कार्य सफलता में महान् विघ्न है । ३. तू (अदब्धः) = स्वयं किन्हीं वासनाओं व आलस्यादि शत्रुओं से हिंसित न होता हुआ (अस्याः विश:) = इस प्रजा का (पायुः) = रक्षक हो। ४. (अघशंसः) = बुराई का शंसन करनेवाला (नः) = हमारा (यः) = जो शत्रु (दूरे) = दूरी पर स्थित है (यः अन्ति) = जो समीप है, अग्ने हे राष्ट्रोन्नति के साधक राजन् ! वह (व्यथिः) = पीड़ित करनेवाला शत्रु (ते) = तेरा (माकिः आदधर्षीत्) = धर्षण न करे। राजा किसी भी शत्रु से पराजित न होता हुआ प्रजा की रक्षा करनेवाला हो। राजा से सम्यक्तया रक्षित प्रजा में ही सद्गुणों का विकास सम्भव है।
भावार्थ - भावार्थ - राजा स्वयं आलस्यादि शत्रुओं से मुक्त होता हुआ प्रजा की शत्रुओं से रक्षा करे, जिससे सुरक्षित प्रजाएँ उन्नति पथ पर आगे बढ़नेवाली बनें।
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal