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यजुर्वेद अध्याय - 23

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  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 11
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - जिज्ञासुर्देवता छन्दः - अनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    187

    का स्वि॑दासीत् पू॒र्वचि॑त्तिः॒ किस्वि॑दासीद् बृ॒हद्वयः॑। का स्वि॑दासीत् पिलिप्पि॒ला का स्वि॑दासीत् पिशङ्गि॒ला॥११॥

    स्वर सहित पद पाठ

    का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पू॒र्वचि॑त्ति॒रिति॑ पू॒र्वऽचि॑त्तिः॒। किम्। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। बृ॒हत्। वयः॑। का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पि॒लि॒प्पि॒ला। का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पि॒श॒ङ्गि॒ला ॥११ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    का स्विदासीत्पूर्वचित्तिः किँ स्विदासीद्बृहद्वयः । का स्विदासीत्पिलिप्पिला का स्विदासीत्पिशङ्गिला ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    का। स्वित्। आसीत्। पूर्वचित्तिरिति पूर्वऽचित्तिः। किम्। स्वित्। आसीत्। बृहत्। वयः। का। स्वित्। आसीत्। पिलिप्पिला। का। स्वित्। आसीत्। पिशङ्गिला॥११॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनः प्रश्नानाह॥

    अन्वयः

    हे विद्वांसः! वयं युष्मान् प्रति का स्वित् पूर्वचित्तिरासीत्, किंस्विद् बृहद्वय आसीत्, का स्वित् पिलिप्पिलाऽऽसीत्, का स्वित् पिशङ्गिलाऽऽसीदिति पृच्छामः॥११॥

    पदार्थः

    (का) (स्वित्) (आसीत्) अस्ति (पूर्वचित्तिः) पूर्वा चासौ चित्तिः प्रथमा स्मृतिविषया (किम्) (स्वित्) (आसीत्) (बृहत्) महत् (वयः) यो वेति गच्छति स पक्षी (का) (स्वित्) (आसीत्) (पिलिप्पिला) आर्द्रीभूता चिक्कणा शोभना। श्रीर्वै पिलिप्पिला॥ (शत॰१३।२।६।१६) (का) (स्वित्) (आसीत्) (पिशङ्गिला) या पिशं प्रकाशरूपं गिलति सा। पिशमिति रूपनाम॥११॥

    भावार्थः

    एतेषामुत्तराण्युत्तरत्र मन्त्रे सन्ति। यदि विदुषः प्रति प्रश्नान्न कुर्युस्तर्हि विद्वांसोऽपि न भवेयुः॥११॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    फिर प्रश्नों को अगले मन्त्र में कहते हैं॥

    पदार्थ

    हे विद्वानो! हम लोग तुम्हारे प्रति पूछते हैं कि (का, स्वित्) कौन (पूर्वचित्तिः) स्मरण का प्रथम पहिला विषय (आसीत्) हुआ है, (किम्, स्वित्) कौन (बृहत्) बड़ा (वयः) उड़ने हारा पक्षी (आसीत्) है (का, स्वित्) कौन (पिलिप्पिला) पिलपिली चिकनी वस्तु (आसीत्) है तथा (का, स्वित्) कौन (पिशङ्गिला) प्रकाश रूप को निगल जाने वाली वस्तु (आसीत्) है॥११॥

    भावार्थ

    इन प्रश्नों के उत्तर अगले मन्त्र में हैं। जो विद्वानों के प्रति न पूछें तो आप विद्वान् भी न हों॥११॥

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    विषय

    ब्रह्मोद्य | ब्रह्म औरः प्रभु राजा की शक्तिविषयक प्रश्नोत्तर । सूर्य, अग्नि, भूमि, द्यौ, अश्व, अवि और रात्रि विषयक प्रश्नोत्तर ।

    भावार्थ

    (पूर्वचित्तिः) सबसे पूर्व स्मरण योग्य ( का आसीत् ) कौन सी स्थिति है और ( किं स्वित् ) बताओ ! कौन सा (बृहद् वयः) सबसे बड़ा बल है । (पिलिप्पिला ) 'पिलिप्पिला' सुन्दर शोभावती (का स्वित् ) क्या है ? (पिशंगला) 'पिशंगिला' अर्थात् समस्त रूपों को निगल जाने वाली ( का स्वित् ) क्या है ?

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    जिज्ञासुः । अनुष्टुप् । गान्धारः ॥

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    विषय

    पिलिप्पिला- पिशंगिला

    पदार्थ

    १. गतमन्त्रों के अनुसार ही इन मन्त्रों में भी चार प्रश्न व उत्तर दिये गये हैं। प्रथम प्रश्न है (स्वित्) = भला (पूर्वचित्तिः) = सबसे प्रथम [प्रथमा स्मृतिविषया- द०] स्मरण व ध्यान की वस्तु का क्या है? अर्थात् सबसे अधिक ध्यान किसपर देना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं कि (द्यौः) = मस्तिष्क (पूर्वचित्तिः) = सबसे प्रथम ध्यान देने का विषय (आसीत्) = है । शरीर में मस्तिष्क उसी प्रकार सर्वोपरि स्थित है जैसे विराट् शरीर में द्युलोक। ('मूर्ध्ना द्यौः') = विराट् शरीर के मस्तिष्क से ही द्युलोक बनता है और यही द्युलोक मस्तिष्करूप से हमारे शरीर में निवास करता है। हमें इस मस्तिष्क का सर्वाधिक ध्यान करना है। । २. दूसरा प्रश्न है (स्वित्) = भला (बृहद् वयः) = वर्धनशील पक्षी (किम्) = कौन है? इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि (अश्वः) = [अश्नुते कर्मसु ] सदा कर्मों में व्याप्त होनेवाला जीव ही (बृहद् वयः) = वर्धनशील पक्षी (आसीत्) = है । वैदिक साहित्य में आत्मा तथा परमात्मा दोनों को ('द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया') = इन शब्दों में सदा साथ रहनेवाले दो मित्र पक्षियों के रूप में चित्रित किया है। इनमें परमात्मा सदावृद्ध व निरतिशय वृद्धिवाले हैं, जीवात्मा अल्प है और यह साधना के मार्ग पर चलकर वृद्धि को प्राप्त करनेवाला है। यह बढ़ता हुआ पक्षी है। जितना जितना बढ़ता जाता है उतना उतना प्रभु के समीप पहुँचता जाता है अथवा जितना - जितना प्रभु के समीप पहुँचता जाता है उतना उतना बढ़ता जाता है । ३. तीसरा प्रश्न है (स्वित्) = भला (पिलिप्पिला) = [आर्द्रीभूता-चिक्कणा - शोभन - द० ] [ श्रीर्वै पिलिप्पिला - श० १३/२/६/१६] आर्द्रीभूत, चिक्कणा व शोभना श्री क्या (आसीत्) = है ? उत्तर देते हुए कहते हैं कि (अवि:) = [अव रक्षणे] रोगों व वासनाओं से अपना रक्षण करनेवाला जीव ही (पिलिप्पिला) = शरीर में स्वास्थ्य की स्निग्धता से चिक्कण, मन में करुणा से आर्द्रीभूत, मस्तिष्क में उत्तम विचारों से शोभन श्रीवाला आसीत् है । जब हम आधि-व्याधियों से अपने को बचाते हैं तभी हमारे शरीर, मन व मस्तिष्क श्रीसम्पन्न होते हैं। ४. चौथा प्रश्न है (स्वित्) = भला (पिशंगिला) = [पिशं रूपं गिलति] रूप को निगल जानेवाला का (आसीत्) = कौन है ? इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि (रात्रिः) = रात (पिशंगिला आसीत्) = रूप को निगल जानेवाली है। रात्रि में सब वर्ण समाप्त होकर एक कृष्ण ही कृष्ण वर्ण की प्रतीति होती है। इसी प्रकार उस परमेश्वर में रमण करनेवाले [रात्रि: रमयित्री] योगनिद्रागत योगी के इन शरीररूप रूपों का, वल्बों का विलय मोक्ष हो जाता है। इस योगी को फिर दीर्घकाल तक शरीर नहीं लेना पड़ता ।

    भावार्थ

    भावार्थ- सर्वाधिक ध्यान हमें मस्तिष्क का करना है। साधना के द्वारा निरन्तर वृद्धि का यत्न करना है। अपने को आधि-व्याधियों से बचाकर श्रीसम्पन्न होना है तथा प्रभुस्मरण के द्वारा इन शरीरों के परिग्रह से ऊपर उठना है।

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    प्रथम स्मरण कोणाचे करावे? उडणारा मोठा पक्षी कोण आहे? कोणती वस्तू मऊ आहे? कोणती वस्तू प्रकाशाला गिळते?

    टिप्पणी

    या प्रश्नांची उत्तरे पुढील मंत्रात आहेत. विद्वानांना (प्रश्न) विचारले नाही तर माणसे स्वतःही विद्वान बनणार नाहीत.

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    विषय

    पुढील मंत्रात काही इतर प्रश्‍न विचारले आहेत. -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे विद्वानहो, आम्ही (जिज्ञासू सामान्यजन) तुम्हांला विचारत आहोत की (पूर्वचित्तिः) स्मृतीचा पहिला विषय (का, स्वित्) कोणता (आसीम्) होता? (बृहत्) महान् वा विशाल (वयः) उडणारा पक्षी (किम्, स्वित्) कोणता (आसीत्) आहे? (पिलिप्पिला) पिलपिली म्हणजे लिवलिवीत वा लवचिक, चिक्कण वस्तू (का, स्वित्) कोणती (आसीत्) आहे? तसेच (पिशंगला) प्रकाशाला गिळून टाकणारी वस्तू (का, स्वित्) कोणती आहे? (या प्रश्‍नांची उत्तरें सांगा) ॥11॥

    भावार्थ

    भावार्थ - या प्रश्‍नांची उत्तरें पुढील मंत्रात सांगितली आहेत. ॥11॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    What is the primary thought? What is the bird of mighty size ? What is the majestic beautiful thing ? What absorbs light ?

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    Meaning

    What is the first object of perception and thought? What is the great bird of motion? What is soft, smooth and beautiful? What is it that devours light and form?

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    Translation

    What is the thing thought of first? What is the huge bird? What is the soft and slippery? What is that, which swallows the forms of the things? (1)

    Notes

    Pürvacittiḥ, a thing that was thought of, first. Brhadvayaḥ, the great bird. वय: पक्षी, a bird. Pisangilā, पिशं रूपं गिलति अदृश्यानि करोति, one that swal lows the shapes of all things. Pilippilā, smooth and slippery.

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    बंगाली (1)

    विषय

    পুনঃ প্রশ্নানাহ ॥
    পুনরায় প্রশ্নগুলিকে পরবর্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ- হে বিদ্বান্গণ ! আমরা তোমাদের নিকট জিজ্ঞাসা করি যে, (কা, স্বিৎ) কে (পূর্বচিত্তিঃ) স্মরণের প্রথম বিষয় (আসীৎ) হইয়াছে? (কিম্ স্বিৎ) কে (বৃহৎ) বৃহৎ (বয়ঃ) উড়নশীল পক্ষী (আসীৎ) আছে? (কা, স্বিৎ) কে (পিলিপ্পিলা) আর্দ্র চিক্কণ বস্তু (আসীৎ) তথা (কা, স্বিৎ) কে (পিশঙ্গিলা) প্রকাশরূপকে নিগরণকারী বস্তু (আসীৎ) আছে ॥ ১১ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ- এই মন্ত্রের উত্তর পরবর্ত্তী মন্ত্রে দেওয়া হইয়াছে । যাহারা বিদ্বান্দিগকে জিজ্ঞাসা করিবে না, তাহারা স্বয়ং বিদ্বান্ নয় ॥ ১১ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    কা স্বি॑দাসীৎ পূ॒র্বচি॑ত্তিঃ॒ কিᳬंস্বি॑দাসীদ্ বৃ॒হদ্বয়ঃ॑ ।
    কা স্বি॑দাসীৎ পিলিপ্পি॒লা কা স্বি॑দাসীৎ পিশঙ্গি॒লা ॥ ১১ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    কাস্বিদিত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । জিজ্ঞাসুর্দেবতা । অনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    গান্ধারঃ স্বরঃ ॥

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