अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 15
ऋषिः - प्रत्यङ्गिरसः
देवता - कृत्यादूषणम्
छन्दः - चतुष्पदा विराड्जगती
सूक्तम् - कृत्यादूषण सूक्त
97
अ॒यं पन्थाः॑ कृ॒त्य॒ इति॑ त्वा नयामोऽभि॒प्रहि॑तां॒ प्रति॑ त्वा॒ प्र हि॑ण्मः। तेना॒भि या॑हि भञ्ज॒त्यन॑स्वतीव वा॒हिनी॑ वि॒श्वरू॑पा कुरू॒टिनी॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒यम् । पन्था॑: । कृ॒त्ये॒ । इति॑ । त्वा॒ । न॒या॒म॒: । अ॒भि॒ऽप्रहि॑ताम् । प्रति॑ । त्वा॒ । प्र॒ । हि॒ण्म॒: । तेन॑ । अ॒भि । या॒हि॒ । भ॒ञ्ज॒ती । अन॑स्वतीऽइव । वा॒हिनी॑ । वि॒श्वऽरू॑पा । कु॒रू॒टिनी॑ ॥१.१५॥
स्वर रहित मन्त्र
अयं पन्थाः कृत्य इति त्वा नयामोऽभिप्रहितां प्रति त्वा प्र हिण्मः। तेनाभि याहि भञ्जत्यनस्वतीव वाहिनी विश्वरूपा कुरूटिनी ॥
स्वर रहित पद पाठअयम् । पन्था: । कृत्ये । इति । त्वा । नयाम: । अभिऽप्रहिताम् । प्रति । त्वा । प्र । हिण्म: । तेन । अभि । याहि । भञ्जती । अनस्वतीऽइव । वाहिनी । विश्वऽरूपा । कुरूटिनी ॥१.१५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।
पदार्थ
“(कृत्ये) हे हिंसा ! [अर्थात् हिंसक] (अयम् पन्थाः इति) यह मार्ग है”−(त्वा) तुझे (नयामः) हम ले चलते हैं, (अभिप्रहिताम्) [हमारे] प्रतिकूल भेजी हुई (त्वा) तुझको (प्रति) उलटा (प्र हिण्मः) हम हटाते हैं, (तेन) उसी [मार्ग] से (भञ्जती) टूटती हुई तू [उन पर] (अभि याहि) चढ़ाई कर, (इव) जैसे (अनस्वती) बहुत रथोंवाली, (विश्वरूपा) सब अङ्गों [हाथी, घोड़ों आदि] वाली (कुरूटिनी) बाँकेपन से रोकनेवाली (वाहिनी) सेना [चढ़ाई करती है] ॥१५॥
भावार्थ
नीतिमान् सेनापति अपने पराक्रम से शत्रुसेना में शीघ्र हलचल मचा देवे कि वे आपस में लड़ने लगें ॥१५॥
टिप्पणी
१५−(अयम्) (पन्थाः) मार्गः (कृत्ये) हे हिंसाक्रिये (इति) वाक्यसमाप्तौ (त्वा) त्वाम् (नयामः) प्रापयामः (अभिप्रहिताम्) अस्मान् प्रति प्रेषिताम् (प्रति) प्रतिकूलम् (त्वा) (प्र) (हिण्मः) प्रेरयामः (तेन) (अभियाहि) तान् प्रति गच्छ (भञ्जती) भञ्जनं कुर्वती (अनस्वती) रथैर्युक्ता (इव) यथा (वाहिनी) सेना (विश्वरूपा) सर्वाङ्गोपेता (कुरूटिनी) कु+रुट प्रतिघाते भाषायां च-क, इनि, ङीप्, छान्दसो दीर्घः। कु कुटिलं प्रतिघातिनी, अवरोधिका ॥
विषय
कुरूटिनी वाहिनी
पदार्थ
१. हे (कृत्ये) = हिंसा-क्रिये! तेरे लिए (अयं पन्था:) = यह मार्ग है। (इति त्वा नयामः) = तुझे इससे ले-जाते हैं। (अभिप्रहिताम्) = हमारी ओर भेजी हुई (त्वा) = तुझे (प्रतिप्रहिण्म:) = भेजनेवाले के प्रति भेजते हैं। २. (तेन) = उस मार्ग से (अभियाहि) = तू शत्रू के प्रति इसप्रकार जा (इव) = जैसेकि अनस्वती रथोंवाली (विश्वरूपा) = नाना रूपों को धारण करनेवाली-'हाथी, घोड़े, रथ व पदातियों से युक्त (कुरूटिनी) = [कुटिल प्रतिघातिनी, रुट प्रतिघाते] प्रबल प्रतिघात करनेवाली (वाहिनी) = सेना (भञ्जती) = शत्रुओं का मर्दन करती हुई जाती है।
भावार्थ
कृत्या को हम कर्ता के प्रति वापस भेजते हैं। वह पूर्ण सेना के समान शत्र पर आक्रमण करती हुई गति करती है।
भाषार्थ
(कृत्ये) हे परकीय हिंस्रसेना ! (अयम् पन्थाः) यह मार्ग है, (इति) इस द्वारा (त्वा) तुझे (नयामः१) हम ले चलते हैं, (अभि प्रहिताम्) हमारी ओर भेजी हुई (त्वा) तुझे (प्रति) वापिस (प्रहिण्मः) हम भेज देते हैं। (तेन) उस मार्ग द्वारा (अभि याहि) निज देश की ओर चली जा (भञ्जती) हमारी सेना द्वारा भग्न हुई; (अनस्वती) रथों वाली तथा (विश्वरूपा) युद्ध सम्बन्धी समग्ररूपों अर्थात् सामग्री आदि वाली, और (कुरूटिनी) बुरी तरह से लूट ली गई (वाहिनी (वाहिनी२ इव) बड़ी सेना की तरह।
टिप्पणी
[वाहिनी = सेना जिस में कि ८१, हाथी हों, ८१ रथ, २४३ अश्व, तथा ४०५ पदाति हों (आप्टे)। कुरूटिनी= कु + रुटि लुटि स्तेये (भ्वादिः)। स्तेय का अभिप्राय यहां लूटना है। प्रबल सेना, परकीय सेना का माल चुराती नहीं, अपितु लूट लिया करती है]। [१. स्वकीय सेना, परकीय सेना को धकेलती हुई, उसे निज राष्ट्र तक पहुंचा दे, उसका विनाश न करे। २. वाहिनी यद्यपि महाकाया और शक्तिमती होती है, तो भी उसे निज नीति तथा प्रबल शस्त्रास्त्रों के बल पर वापिस लौटा देना चाहिये, और परास्त करना चाहिये। और उसे लूट भी लेना चाहिये।]
विषय
घातक प्रयोगों का दमन।
भावार्थ
कृत्या रूप से सेना का वर्णन करते हैं। हे (कृत्ये) हिंसाकारिणि ! कृत्ये ! सेने ! (अयं पन्थाः) यह मार्ग है। (इति) इस प्रकार इस मार्ग से (त्वा नयामः) हम तुझे ले चलते हैं। (अभि-प्रहितां) यदि तुझे दूसरों ने हमारे विरुद्ध भेजा है तो (त्वां) तुझे (प्रति प्र हिण्मः) हम उलटे पांव फिर लौटा देते हैं। (तेन) उसी मार्ग से तू (अनस्वती) रथों, शकटों से युक्त (वाहिनी) वाहन=अश्व, हाथियों से युक्त, (इव) सेना के समान (विश्वरूपा) नाना रूपों को धारण करने वाली, नाना व्यूहवती, (कुरूटिनी) कुत्सित, कठोर शब्द या प्रतिघात करने वाली होकर (भञ्जती) शत्रु के बलों को या दुर्गों को तोड़ती हुई (अभि याहि) चढ़ाई कर।
टिप्पणी
(प्र०) ‘अयं पन्या अपि नयाभित्वा कृत्ये प्रहितां प्रति०’ (वृ० च०) ‘याहि तुञ्जत्यनस्वतीव’ इति पैप्प० सं०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
प्रत्यंगिरसो ऋषिः। कृत्यादूषणं देवता। १ महाबृहती, २ विराण्नामगायत्री, ९ पथ्यापंक्तिः, १२ पंक्तिः, १३ उरोबृहती, १५ विराड् जगती, १७ प्रस्तारपंक्तिः, २० विराट् प्रस्तारपंक्तिः, १६, १८ त्रिष्टुभौ, १९ चतुष्पदा जगती, २२ एकावसाना द्विपदाआर्ची उष्णिक्, २३ त्रिपदा भुरिग् विषमगायत्री, २४ प्रस्तारपंक्तिः, २८ त्रिपदा गायत्री, २९ ज्योतिष्मती जगती, ३२ द्व्यनुष्टुब्गर्भा पञ्चपदा जगती, ३-११, १४, २२, २१, २५-२७, ३०, ३१ अनुष्टुभः। द्वात्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Countering Evil Designs
Meaning
O force of evil and violence, this is the path by which we throw you out and send you back from where you were directed against us. Broken and breaking, retreat and return like an army on the march back, with all transports, forms and formations, mounting an attack —now repelled.
Translation
"This is the way, O harmful design", thus we lead you forth. You, who, were sent against, us, we send back. Go by this road, crushing like an army, all beautiful with cars (vāhini) and: crests (kurūtini).
Translation
This is the path of the device, we make it go by this way, if it is cast against us we return it to the man who has cast it. Let this go by the same way like an army which causing onslaught, having various divisions, beating the drums and accompanied by cars etc. marches to invade a country.
Translation
O violent army, this is thy path, we guide thee on this path. If thou hast been sent against us, we drive thee back. Go by this pathway, breaking the forts of the enemy, as does an army equipped with cars and horses, assuming different arrangements and formations and making dreadful noise.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१५−(अयम्) (पन्थाः) मार्गः (कृत्ये) हे हिंसाक्रिये (इति) वाक्यसमाप्तौ (त्वा) त्वाम् (नयामः) प्रापयामः (अभिप्रहिताम्) अस्मान् प्रति प्रेषिताम् (प्रति) प्रतिकूलम् (त्वा) (प्र) (हिण्मः) प्रेरयामः (तेन) (अभियाहि) तान् प्रति गच्छ (भञ्जती) भञ्जनं कुर्वती (अनस्वती) रथैर्युक्ता (इव) यथा (वाहिनी) सेना (विश्वरूपा) सर्वाङ्गोपेता (कुरूटिनी) कु+रुट प्रतिघाते भाषायां च-क, इनि, ङीप्, छान्दसो दीर्घः। कु कुटिलं प्रतिघातिनी, अवरोधिका ॥
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