अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 4
ऋषिः - प्रत्यङ्गिरसः
देवता - कृत्यादूषणम्
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - कृत्यादूषण सूक्त
218
अ॒नया॒हमोष॑ध्या॒ सर्वाः॑ कृ॒त्या अ॑दूदुषम्। यां क्षेत्रे॑ च॒क्रुर्यां गोषु॒ यां वा॑ ते॒ पुरु॑षेषु ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒नया॑ । अ॒हम् । ओष॑ध्या । सर्वा॑: । कृ॒त्वा: । अ॒दू॒दु॒ष॒म् । याम् । क्षेत्रे॑ । च॒क्रु: । याम् । गोषु॑ । याम् । वा॒ । ते॒ । पुरु॑षेषु ॥१.४॥
स्वर रहित मन्त्र
अनयाहमोषध्या सर्वाः कृत्या अदूदुषम्। यां क्षेत्रे चक्रुर्यां गोषु यां वा ते पुरुषेषु ॥
स्वर रहित पद पाठअनया । अहम् । ओषध्या । सर्वा: । कृत्वा: । अदूदुषम् । याम् । क्षेत्रे । चक्रु: । याम् । गोषु । याम् । वा । ते । पुरुषेषु ॥१.४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।
पदार्थ
(अहम्) मैंने (अनया ओषध्या) इस ओषधिरूप [तापनाशक तुझ राजा] के साथ (सर्वाः कृत्याः) सब हिंसाओं को (अदूदुषम्) खण्डित कर दिया है, (याम्) जिस [हिंसा] को (क्षेत्रे) खेत में, अथवा (याम्) जिसको (गोषु) गौओं में (वा) अथवा (याम्) जिसको (ते) तेरे (पुरुषेषु) पुरुषों में (चक्रुः) उन लोगों ने किया था ॥४॥
भावार्थ
जो दुष्ट लोग प्रजा को किसी प्रकार से सतावें, प्रजा गण और राजपुरुष मिलकर दुष्टों का नाश करें ॥४॥ यह मन्त्र आचुका है-अ० ४।१८।५ ॥
टिप्पणी
४−(कृत्याः) कृञ् हिंसायाम्-क्यप् तुक् च। हिंसाः। अन्यद् व्याख्यातम् अ० ४।१८।५ ॥
विषय
क्षेत्रे गोषु पुरुषेषु
पदार्थ
१. (अहम्) = मैं अनया (ओषध्या) = इस अपामार्ग नामक ओषधि से [अ० ४.१८.५] उन (सर्वा: कृत्या:) = सब हिंसा-प्रयोगों को (अदूदुषम्) = दूषित करता हूँ, (याम्) = जिस हिंसा-प्रयोग को (क्षेत्रे) = मेरे शरीररूप क्षेत्र के विषय में (चक्रुः) = करते हैं [इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते], (याम्) = जिस हिंसा-प्रयोग को (गोषु) = इन्द्रियों के विषय में करते हैं, (वा) = अथवा (यां ते पुरुषेषु) = जिसे तेरे पुरुषों-बन्धुओं के विषय में करते हैं।
भावार्थ
अपामार्ग ओषधि के प्रयोग से शरीर और इन्द्रियों के सब रोग दूर हो जाते हैं।
भाषार्थ
(अनया ओषध्या) इस ओषधि द्वारा (अहम्) मैं ने (सर्वाः) सब प्रकार की (कृत्याः) कृत्याओं हिंस्रक्रियाओं को (अदूदुषम्) दूषित कर दिया है, (याम्) जिस कृत्या को (क्षेत्रे) खेत में (चक्रुः) उन्होंने किया है, (याम्) जिसे (गोषु) गौओं में, (याम् वा) या जिसे (ते) तेरे (पुरुषेषु) पुरुषों में किया है।
टिप्पणी
[ओषधि का प्रयोग करने वाला विषवैद्य है। मन्त्र में विष प्रयोगरूपी कृत्या का वर्णन है]।
विषय
घातक प्रयोगों का दमन।
भावार्थ
(यां) जिसको (क्षेत्रे चक्रुः) लोग खेतों पर प्रयोग करते हैं, (यां) जिसको (गोषु) गौ आदि प्राणियों पर (यां वा ते पुरुषेषु) और जिसको वे पुरुषों पर प्रयोग करते हैं (ऐसी (सर्वाः कृत्याः) सब पीड़ाजनक घातक क्रियाओं को (अहम्) मैं (अनया) इस (ओषध्या) संतापकारी दण्डरूप ओषधि=उपाय से (अदूदुषम्) नष्ट करता हूं। [ व्याख्या देखो अथर्व० ४। १८। १ ]।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
प्रत्यंगिरसो ऋषिः। कृत्यादूषणं देवता। १ महाबृहती, २ विराण्नामगायत्री, ९ पथ्यापंक्तिः, १२ पंक्तिः, १३ उरोबृहती, १५ विराड् जगती, १७ प्रस्तारपंक्तिः, २० विराट् प्रस्तारपंक्तिः, १६, १८ त्रिष्टुभौ, १९ चतुष्पदा जगती, २२ एकावसाना द्विपदाआर्ची उष्णिक्, २३ त्रिपदा भुरिग् विषमगायत्री, २४ प्रस्तारपंक्तिः, २८ त्रिपदा गायत्री, २९ ज्योतिष्मती जगती, ३२ द्व्यनुष्टुब्गर्भा पञ्चपदा जगती, ३-११, १४, २२, २१, २५-२७, ३०, ३१ अनुष्टुभः। द्वात्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Countering Evil Designs
Meaning
With this antidote I have defiled and rendered ineffective all the evil and poison they have done to pollute your fields or infect your cows and your people.
Translation
With this medicinal plant, I have spoiled all the harmful designs, which they had planted in your field, in your cattle, or in your men.
Translation
I, with this herb or encountering active measure ruin, all the devices which they have cast in the field, which they have used upon cows or which are used by them on men.
Translation
I with this salutary herb destroy the violent deeds, which they have committed upon the field, cattle, or thy men.
Footnote
Salutary herb: Apamarga or deserving punishment which serves as healing machine. They: The evil-doers. See Atharva, 4-18-4.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४−(कृत्याः) कृञ् हिंसायाम्-क्यप् तुक् च। हिंसाः। अन्यद् व्याख्यातम् अ० ४।१८।५ ॥
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