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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 1 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 31
    ऋषिः - प्रत्यङ्गिरसः देवता - कृत्यादूषणम् छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - कृत्यादूषण सूक्त
    226

    कृ॑त्या॒कृतो॑ वल॒गिनो॑ऽभिनिष्का॒रिणः॑ प्र॒जाम्। मृ॑णी॒हि कृ॑त्ये॒ मोच्छि॑षो॒ऽमून्कृ॑त्या॒कृतो॑ जहि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कृ॒त्या॒ऽकृत॑: । व॒ल॒गिन॑: । अ॒भि॒ऽनि॒ष्का॒रिण॑: । प्र॒ऽजाम् । मृ॒णी॒हि । कृ॒त्ये॒ । मा । उत् । शि॒ष॒: । अ॒मून् । कृ॒त्या॒ऽकृत॑: । ज॒हि॒ ॥१.३१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कृत्याकृतो वलगिनोऽभिनिष्कारिणः प्रजाम्। मृणीहि कृत्ये मोच्छिषोऽमून्कृत्याकृतो जहि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कृत्याऽकृत: । वलगिन: । अभिऽनिष्कारिण: । प्रऽजाम् । मृणीहि । कृत्ये । मा । उत् । शिष: । अमून् । कृत्याऽकृत: । जहि ॥१.३१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 1; मन्त्र » 31
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।

    पदार्थ

    (कृत्ये) हे कर्तव्यकुशल [सेना !] (कृत्याकृतः) हिंसा करनेवाले (वलगिनः) गुप्त कर्म करनेवाले और (अभिनिष्कारिणः) विरुद्ध यत्न करनेवाले की (प्रजाम्) प्रजा [सेवक आदि] को (मृणीहि) मार डाल, (मा उत् शिषः) मत छोड़, (अमून्) उन (कृत्याकृतः) हिंसा करनेवालों को (जहि) नाश कर ॥३१॥

    भावार्थ

    चतुर सेनापति अपनी सुशिक्षित सेना द्वारा शत्रुओं को दल-बल सहित नाश कर दे ॥३१॥

    टिप्पणी

    ३१−(कृत्याकृतः) म० २। हिंसाकारकस्य (वलगिनः) अ० ५।३१।१२। गुप्तकर्मकारिणः (अभिनिष्कारिणः) प्रतिकूलयत्नसाधकस्य (प्रजाम्) भृत्यादिरूपाम् (मृणीहि) मारय (कृत्ये) करोतेः क्यप् तुक् च, ततः अर्शआद्यच्, टाप्, तत्सम्बुद्धौ। हे कृत्ये कर्तव्ये कुशले सेने प्रजे वा (अमून्) (कृत्याकृतः) हिंसाकारकान् (जहि) नाशय ॥

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    विषय

    कृत्याकृत, वलगी, अभिनिष्कारी

    पदार्थ

    १.हे (कृत्ये) = छेदन-भेदन की क्रिये! तू (कृत्याकृत:) = छेदन करनेवालों तथा (वलगिनः) = गुप्त प्रयोगों को करनेवालों की [वल संवरणे] तथा (अभिनिष्कारिण:) = आक्रमण करनेवाले की व बुरा सोचनेवाले की [injuring thinking ill of] (प्रजाम् मृणीहि) = प्रजा को भी कुचल दे, (मा उच्छिष:) = उन्हें बचा मत । (अमन् कृत्याकृतः) = इन हिंसन करनेवालों को (जहि) = तू नष्ट कर दे।

     

    भावार्थ

    कृत्या हिंसन करनेवाले लोगों का ही उच्छेद करे।

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    भाषार्थ

    (कृत्ये) हे हमारी हिंस्र सेना ! (कृत्याकृतः) परकीय हिंस्र सेनाओं के रचयिता की, (वलगिनः) वलय में गति करने वाले विस्फोटकों के स्वामी की, (अभिनिष्कारिणः) हमें नष्ट करने वाले या अपमानित करने वाले की (प्रजाम्) प्रजा को (मृणीहि) मार डाल और (अमून्) उन (कृत्याकृतः) हिंस्रसेनाओं-के-रचयिताओं का (जहि) हनन कर (मा उच्छिषः) उन में से किसी को शेष न रहने दे।

    टिप्पणी

    [शत्रु सेनाओं को बार-बार हट जाने को प्रेरित करने पर भी जब ये हस्तगत स्थानों को छोड़ जाने में सहमत नहीं हुई, तब निज सेनाओं को आज्ञा दी कि शत्रु सेनाओं के रचयिताओं के राष्ट्र में प्रवेश कर उन की प्रजा का, और रचयिताओं का वह हनन करे]

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    विषय

    घातक प्रयोगों का दमन।

    भावार्थ

    हे (कृत्ये) घातकारिणी सेने ! तू (कृत्याकृतेः) सेना के घातक प्रयोग करने वाले, (वलगिनः) गुप्त मन्त्रणा करने वाले, (प्रजाम् अभिनिः-कारिणः) प्रजा के ऊपर आक्रमण करने वाले लोगों को (मृणीहि) विनाश कर और (अमून्) उन (कृत्या-कृतः) घातिनी सेना के प्रयोजक लोगों को (मा उच्छिषः) जीता न छोड़। प्रत्युत (जहि) मार डाल।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    प्रत्यंगिरसो ऋषिः। कृत्यादूषणं देवता। १ महाबृहती, २ विराण्नामगायत्री, ९ पथ्यापंक्तिः, १२ पंक्तिः, १३ उरोबृहती, १५ विराड् जगती, १७ प्रस्तारपंक्तिः, २० विराट् प्रस्तारपंक्तिः, १६, १८ त्रिष्टुभौ, १९ चतुष्पदा जगती, २२ एकावसाना द्विपदाआर्ची उष्णिक्, २३ त्रिपदा भुरिग् विषमगायत्री, २४ प्रस्तारपंक्तिः, २८ त्रिपदा गायत्री, २९ ज्योतिष्मती जगती, ३२ द्व्यनुष्टुब्गर्भा पञ्चपदा जगती, ३-११, १४, २२, २१, २५-२७, ३०, ३१ अनुष्टुभः। द्वात्रिंशदृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Countering Evil Designs

    Meaning

    O force of action set against evil, sabotage and mischief, overt or covert, rise and destroy all supports and creations of the camouflaged evil doers and their designs acting for the forces of destruction and negativity. Spare them not, throw off and destroy all the evil doers. (This force of action could be the same original evil force converted and redirected to destroy its own creators, or a force newly raised by the Defence to fight against evil and violence and its creator.)

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    Translation

    The offspring of those who fashion harmful designs of evil plotters, and of those who destroy others, O harmful design may you crush. Let not any of them survive. Kill those fashioners of harmful designs.

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    Translation

    Let this device crush the men and children of makers of the device who are wicked users of such a harmful device and let it leave not anyone and slay all of them.

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    Translation

    O destructive army!, crush thou the brood of the violent, the wicked, and the doer of evil deed, spare them not, kill those practisers of violence.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३१−(कृत्याकृतः) म० २। हिंसाकारकस्य (वलगिनः) अ० ५।३१।१२। गुप्तकर्मकारिणः (अभिनिष्कारिणः) प्रतिकूलयत्नसाधकस्य (प्रजाम्) भृत्यादिरूपाम् (मृणीहि) मारय (कृत्ये) करोतेः क्यप् तुक् च, ततः अर्शआद्यच्, टाप्, तत्सम्बुद्धौ। हे कृत्ये कर्तव्ये कुशले सेने प्रजे वा (अमून्) (कृत्याकृतः) हिंसाकारकान् (जहि) नाशय ॥

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