अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 2
ऋषिः - प्रत्यङ्गिरसः
देवता - कृत्यादूषणम्
छन्दः - विराड्गायत्री
सूक्तम् - कृत्यादूषण सूक्त
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शी॑र्ष॒ण्वती॑ न॒स्वती॑ क॒र्णिनी॑ कृत्या॒कृता॒ संभृ॑ता वि॒श्वरू॑पा। सारादे॒त्वप॑ नुदाम एनाम् ॥
स्वर सहित पद पाठशी॒र्ष॒ण्ऽवती॑ । न॒स्वती॑ । क॒र्णिनी॑ । कृ॒त्या॒ऽकृता॑ । सम्ऽभृ॑ता । वि॒श्वऽरू॑पा । सा । आ॒रात् । ए॒तु॒ । अप॑ । नु॒दा॒म॒: । ए॒ना॒म् ॥१.२॥
स्वर रहित मन्त्र
शीर्षण्वती नस्वती कर्णिनी कृत्याकृता संभृता विश्वरूपा। सारादेत्वप नुदाम एनाम् ॥
स्वर रहित पद पाठशीर्षण्ऽवती । नस्वती । कर्णिनी । कृत्याऽकृता । सम्ऽभृता । विश्वऽरूपा । सा । आरात् । एतु । अप । नुदाम: । एनाम् ॥१.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।
पदार्थ
(शीर्षण्वती) शिरसम्बन्धी, (नस्वती) नाकसम्बन्धी, (कर्णिनी) कानसम्बन्धी [जो हिंसा क्रिया] (कृत्याकृता) हिंसा करनेवाले पुरुष द्वारा (संभृता) साधी गई (विश्वरूपा) अनेक रूपवाली है, (सा) वह (आरात्) दूर (एतु) चली जावे, (एनाम्) इसको (अप नुदामः) हम हटाते हैं ॥२॥
भावार्थ
प्रजा के शरीरों को कष्ट देनेवाले उत्पातियों को यथावत् दण्ड दिया जावे ॥२॥
टिप्पणी
२−(शीर्षण्वती) तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुप्। पा० ५।२।९४। शिरःसम्बन्धिनी (नस्वती) नासासम्बन्धिनी (कर्णिनी) श्रोत्रसंबन्धिनी हिंसा (कृत्याकृता) अ० ४।९।५। कृञ् हिंसायाम्-क्यप्, तुक्+डुकृञ् करणे-क्विप्, तुक्। हिंसाकारकेण (संभृता) निष्पादिता (विश्वरूपा) अनेकविधा। इतरत् पूर्ववत्−म० १ ॥
विषय
'शीर्षण्वती, नस्वती' कृत्या
पदार्थ
१. कृत्याकृता-विनाशकारिणी मूर्ति [बम्ब आदि] बनानेवाले पुरुष से (संभृता) = बनाई गई (विश्वरूपा) = नाना रूपोंवाली (शीर्षण्वती) = सिरवाली, (नस्वती) = नाकवाली, (कर्णिनी) = कानवाली (सा) = वह कृत्या (आरात् एतु) = दूर हो। (एनाम् अपनुदाम:) = हम इसे अपने से दूर करते हैं।
भावार्थ
सिर, कान, नाकवाली, विविध रूपोंवाली कृत्या को हम अपने से दूर करते हैं।
भाषार्थ
(शीर्षण्वती) समझदार, (नस्वती, कर्णिनी) नाक, कान आदि अङ्गों बाली, (कृत्याकृता) हिंसा तथा मारने-काटने में कुशल, (संभृता) सैनिक-संभारों अर्थात् शस्त्रास्त्रों द्वारा सम्पुष्ट, (विश्वरूपा) पदाति, अश्वारोही रथी, हस्ती आदि सैनिकाङ्गों के सब रूपों द्वारा सुसज्जित (आ) वह शत्रुसेना (आरात्) यदि हमारे समीप (एतु) आए तो (एनाम्) इसे (अप नुदामः) हम परे धकेल देते हैं।
टिप्पणी
[सेना का प्रत्येक सैनिक समझदार होना चाहिये, युद्धविद्या का ज्ञाता होना चाहिये। कोई भी सैनिक विकलाङ्ग तथा विकृताङ्ग न होना चाहिये]।
विषय
घातक प्रयोगों का दमन।
भावार्थ
(कृत्याकृता) विनाशकारिणी मूर्ति बनाने हारे पुरुष से (संभृता) बनाई गई (विश्व-रूपा) नाना प्रकार की (शीर्षण्वती) सिरवाली, (नस्वती) नाकवाली, (कर्णिनी) कान वाली मूर्ति के समान सुन्दर भी हो (सा) वह (आरात् एतु) दूर हो। (एनाम्) उसको हम (अप नुदामः) दूर करें।
टिप्पणी
(तृ०) ‘प्रत्वक् प्रहिण्मसि यश्चकार तमृच्छतु’ इति पैप्प० सं०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
प्रत्यंगिरसो ऋषिः। कृत्यादूषणं देवता। १ महाबृहती, २ विराण्नामगायत्री, ९ पथ्यापंक्तिः, १२ पंक्तिः, १३ उरोबृहती, १५ विराड् जगती, १७ प्रस्तारपंक्तिः, २० विराट् प्रस्तारपंक्तिः, १६, १८ त्रिष्टुभौ, १९ चतुष्पदा जगती, २२ एकावसाना द्विपदाआर्ची उष्णिक्, २३ त्रिपदा भुरिग् विषमगायत्री, २४ प्रस्तारपंक्तिः, २८ त्रिपदा गायत्री, २९ ज्योतिष्मती जगती, ३२ द्व्यनुष्टुब्गर्भा पञ्चपदा जगती, ३-११, १४, २२, २१, २५-२७, ३०, ३१ अनुष्टुभः। द्वात्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Countering Evil Designs
Meaning
Perfect in head, nose and ear, i.e., highly intelligent, perceptive, all receptive, made fully self- provided beauty of the world incarnate, this seductive decay we counter and throw off back to the sender.
Translation
She, the harmful design (krtyah), having a head, a nose, and ears, has been made and fashioned in all the forms. May she go afar. We push her away.
Translation
Let it be far away and we drive away this device which is complete with head, complete with nose, complete with ears has all beauties and is fashioned by the man who knows to use this device.
Translation
Complete, with head and nose and ears, all beauteous, wrought with skill, afar let her depart: away we drive her.
Footnote
Her: A destructive image having head, nose, ears.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(शीर्षण्वती) तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुप्। पा० ५।२।९४। शिरःसम्बन्धिनी (नस्वती) नासासम्बन्धिनी (कर्णिनी) श्रोत्रसंबन्धिनी हिंसा (कृत्याकृता) अ० ४।९।५। कृञ् हिंसायाम्-क्यप्, तुक्+डुकृञ् करणे-क्विप्, तुक्। हिंसाकारकेण (संभृता) निष्पादिता (विश्वरूपा) अनेकविधा। इतरत् पूर्ववत्−म० १ ॥
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