ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 24/ मन्त्र 5
न ते॑ स॒व्यं न दक्षि॑णं॒ हस्तं॑ वरन्त आ॒मुर॑: । न प॑रि॒बाधो॑ हरिवो॒ गवि॑ष्टिषु ॥
स्वर सहित पद पाठन । ते॒ । स॒व्यम् । न । दक्षि॑णम् । हस्त॑म् । व॒र॒न्ते॒ । आ॒ऽमुरः॑ । न । प॒रि॒ऽबाधः॑ । ह॒रि॒ऽवः॒ । गोऽइ॑ष्टिषु ॥
स्वर रहित मन्त्र
न ते सव्यं न दक्षिणं हस्तं वरन्त आमुर: । न परिबाधो हरिवो गविष्टिषु ॥
स्वर रहित पद पाठन । ते । सव्यम् । न । दक्षिणम् । हस्तम् । वरन्ते । आऽमुरः । न । परिऽबाधः । हरिऽवः । गोऽइष्टिषु ॥ ८.२४.५
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 24; मन्त्र » 5
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 15; मन्त्र » 5
Acknowledgment
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 15; मन्त्र » 5
Acknowledgment
भाष्य भाग
English (1)
Meaning
The forces of negativity and destruction cannot stay your left hand of generosity nor can they resist your right hand. Nor do preventive forces stand in the ways of your progress and evolution, O lord controller of the dynamics of existence.
मराठी (1)
भावार्थ
तो संपूर्ण आहे हे सांगणे न लगे! त्याच्या अधीन हे विश्व आहे. त्यासाठी तोच उपास्य आहे. ॥५॥
संस्कृत (1)
विषयः
स स्वतन्त्रोऽस्तीति दर्शयति ।
पदार्थः
हे हरिवः=हे संसाररक्षक देव ! आमुरः=आमारयन्तीति आमुरो दुष्टः । ते=तव । सव्यं हस्तम् । न+वरन्ते=निवारयितुं न शक्नुवन्ति । न च दक्षिणं हस्तम् । गविष्टिम्= पृथिव्यादिजगत्सु । तव । न केचन । परिबाधः=पारबाधमानाः शत्रवः ॥५ ॥
हिन्दी (1)
विषय
वह स्वतन्त्र है, यह दिखलाते हैं ।
पदार्थ
(हरिवः) हे संसाररक्षक देव ! (आमुरः) जगद्विध्वंसक दुष्टजन (ते+सव्यम्+हस्तम्) तेरे बाएँ हाथ को (न+वरन्ते) रोक नहीं सकते, (न+दक्षिणम्) तेरे दाहिने हाथ को भी रोक नहीं सकते (गविष्टिषु) पृथिव्यादि जगत् रचनारूप यज्ञ में (परिबाधः+न) बाधा डालनेवाले तेरे कोई नहीं हैं ॥५ ॥
भावार्थ
वह सर्वोपरि है, इसमें कहना ही क्या, उसी के अधीन यह विश्व है, अतः वही उपास्य है ॥५ ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal