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अथर्ववेद के काण्ड - 11 के सूक्त 10 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 10/ मन्त्र 25
    ऋषिः - भृग्वङ्गिराः देवता - त्रिषन्धिः छन्दः - ककुबुष्णिक् सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
    34

    स॒हस्र॑कुणपा शेतामामि॒त्री सेना॑ सम॒रे व॒धाना॑म्। विवि॑द्धा कक॒जाकृ॑ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒हस्र॑ऽकुणपा । शे॒ता॒म् । आ॒मि॒त्री । सेना॑ । स॒म्ऽअ॒रे । व॒धाना॑म् । विऽवि॑ध्दा । क॒क॒जाऽकृ॑ता ॥१२.२५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहस्रकुणपा शेतामामित्री सेना समरे वधानाम्। विविद्धा ककजाकृता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सहस्रऽकुणपा । शेताम् । आमित्री । सेना । सम्ऽअरे । वधानाम् । विऽविध्दा । ककजाऽकृता ॥१२.२५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 10; मन्त्र » 25
    Acknowledgment

    हिन्दी (5)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (वधानाम्) हथियारों की (समरे) मारामार में (विविद्धा) छेद डाली गयी, (ककजाकृता) प्यास की उत्पत्ति से सतायी गयी, (सहस्रकुणपा) सहस्रों लोथोंवाली (अमित्री) वैरियों की (सेना) सेना (शेताम्) सो जावे ॥२५॥

    भावार्थ

    वीरों की मार-धाड़ से शत्रुसेना अनेक प्रकार से व्याकुल होकर मृत्यु पावे ॥२५॥

    टिप्पणी

    २५−(सहस्रकुणपा) असंख्यातशवयुक्ता (शेताम्) (आमित्री) अमित्र-अण्। शात्रवी (सेना) (समरे) युद्धे। प्रहारे (वधानाम्) आयुधानाम् (विविद्धा) विविधं ताडिता (ककजाकृता) कक+जा+कृता। कक गर्वे चापल्ये तृष्णायां च-अच्। जन जनने ड प्रत्ययो भावे, टाप्। कृञ् हिंसायाम् क, टाप्। ककस्य पिपासाया जया उत्पत्या कृता हिंसिता ॥

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    विषय

    शत्रुसेना का पूर्ण पराजय

    पदार्थ

    १. (आमित्री सेना) = शत्रसेना हमारी सेना को प्रास करके (वधानाम्) = हनन-साधन आयुधों का समरे [सम्-अर] संगमन होने पर (विविद्धा) = विविध शस्त्रपातों से मारी हुई (सहस्त्रकुणपा) = असंख्यात शवों से युक्त हुई-हुई (ककजाकृता) = [खण्डशः कृता, Mutilated आप्टे] टुकड़े-टुकड़े की हुई (शेताम्) = रणांगण में शयन करे।

    भावार्थ

    हम शत्रुसेना को खण्डश: करके [कुचल कर] रणांगण में सुलानेवाले बनें।

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    भाषार्थ

    (सहस्रकुणपा) हजारों मुर्दों वाली, (वधानाम्) वधकारी आयुधों के (समरे) युद्ध में (विविद्धा) विविध प्रकार से बींधी गई, (ककजाकृता) कुत्सित अर्थात् विकृत केशों की आकृति वाली (आमित्री सेना) शत्रु सम्बन्धिनी सेना (शेताम्) युद्धभूमि में सो जाय।

    टिप्पणी

    [कुणप= कुण् (शब्दे, तुदादि ) + अप (अपगत), शब्दादि के ज्ञान से रहित, अर्थात् मृत। आमित्री= अमित्रसम्बन्धिनी, अथवा “अमित्री आशेताम"। ककजाकृता = क (कुत्सित) + कज (कच) + आकृता]।

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    विषय

    शत्रुसेना का विजय।

    भावार्थ

    (वधानाम् समरे) हथियारों की लड़ाई में (अमित्री सेना) शत्रु-सेना (सहस्रकुणपा) हज़ारों लाशों वाली होकर और (विविद्वा) नाना प्रकार से ताड़ित हो होकर (ककजाकृता*) दुर्दशा से पीड़ित, बेहाल होकर (शेताम्) पृथ्वी पर बिछ जाय।

    टिप्पणी

    * ककजाकृता, कुत्सितजनना विलोलजनना कृतेतिसायणः। खण्डशः कृतेति ह्विटनिः। कक गर्वे चापल्ये तृष्णायां च। ककः पिपासा तञ्जातया पीडिया हिंसिता इति क्षेमकरण:। ‘सहस्रकुणपा सेनामा’ इति सायणाभिमतः॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    भृग्वङ्गिरा ऋषिः। मन्त्रोक्तस्त्रिषन्धिर्देवता। १ विराट् पथ्याबृहती, २ त्र्यवसाना षट्पा त्रिष्टुब्गर्भाति जगती, ३ विराड् आस्तार पंक्तिः, ४ विराट् त्रिष्टुप् पुरो विराट पुरस्ताज्ज्योतिस्त्रिष्टुप्, १२ पञ्चपदा पथ्यापंक्तिः, १३ षट्पदा जगती, १६ त्र्यवसाना षट्पदा ककुम्मती अनुष्टुप् त्रिष्टुब् गर्भा शक्वरी, १७ पथ्यापंक्तिः, २१ त्रिपदा गायत्री, २२ विराट् पुरस्ताद बृहती, २५ ककुप्, २६ प्रस्तारपंक्तिः, ६-११, १४, १५, १८-२०, २३, २४, २७ अनुष्टुभः। सप्तविंशत्यृचं सूक्तम्॥

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    मन्त्रार्थ

    (वधानां समरे) बधक शस्त्रों के संघर्ष-होड़ में (मित्र सेना) शत्रु की सेना (विविद्धा) विविध प्रहारों से क्ष विक्षत हुई (ककजाकृता) तथा ककजा-शस्त्र प्रहारों से उत्पन्न हुई घबराहट से हिंसित पीड़ित (सहस्रकुणपा) असंख्य शवो वाली (शेताम) पृथिवी पर सो जावे ॥२५॥

    विशेष

    ऋषिः-भृग्वङ्गिराः (भर्जनशील अग्निप्रयोगवेत्ता) देवता – त्रिषन्धिः ( गन्धक, मनः शिल, स्फोट पदार्थों का अस्त्र )

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    War, Victory and Peace

    Meaning

    Let the force of a thousand mutilated and dead in the battle of deadly arms, lie asleep, bound in the snares of death.

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    Translation

    Let the army of our enemies lie with thousand corpses (kunapa) in the conflict of weapons, pierced through, cut to pieces(?).

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    Translation

    Let lie low on the ground thousands of corpses of the hostile army pursed through and rent to pieces (with deadly weapons) where weapons rattle in the furious clash.

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    Translation

    Low let the hostile army lie, thousands of corpses, on the ground, pierced through and rent to pieces where the deadly weapons clash in fight.

    Footnote

    Kakjakrita has been translated by Pt. Khem Karan Dan Trivedi as ‘tormented by thirst.’ Sayana translates the word as ‘reduced to a miserable plight.’

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २५−(सहस्रकुणपा) असंख्यातशवयुक्ता (शेताम्) (आमित्री) अमित्र-अण्। शात्रवी (सेना) (समरे) युद्धे। प्रहारे (वधानाम्) आयुधानाम् (विविद्धा) विविधं ताडिता (ककजाकृता) कक+जा+कृता। कक गर्वे चापल्ये तृष्णायां च-अच्। जन जनने ड प्रत्ययो भावे, टाप्। कृञ् हिंसायाम् क, टाप्। ककस्य पिपासाया जया उत्पत्या कृता हिंसिता ॥

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